महाशिवरात्रि: शिव और शक्ति के मिलन का महापर्व
धर्मः महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति के मिलन की रात माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यह दिन आध्यात्मिक साधना के लिए भी महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाशिवरात्रि का व्रत त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर चतुर्दशी तिथि के अंत तक चलता है। इस दौरान भक्त निर्जला व्रत रखते हैं और भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।महाशिवरात्रि की मान्यताएंमहाशिवरात्रि की मान्यताएं
महाशिवरात्रि की मान्यताएं
- शिव-पार्वती विवाह: महाशिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- शिवलिंग का प्राकट्य: कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे।
- आध्यात्मिक महत्व: महाशिवरात्रि को आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष प्राप्ति का दिन माना जाता है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं। इसके बाद वे मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, और फल चढ़ाए जाते हैं। भक्त भगवान शिव के मंत्रों का जाप करते हैं और भजन गाते हैं।
रात्रि में जागरण और शिव कथाओं का पाठ किया जाता है। अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है और गरीबों को भोजन कराया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह त्योहार हमें आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। live24indianews