लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अवैध धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाते हुए उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 को लागू किया है। इस संशोधन ने मौजूदा कानून को और सख्त करते हुए धर्मांतरण के लिए धोखाधड़ी, लालच, डर, या दबाव का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया है। यह कदम हाल ही में प्रयागराज और बलरामपुर में अवैध धर्मांतरण रैकेट के पर्दाफाश के बाद उठाया गया है, जिसने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है।
संशोधन के प्रमुख प्रावधान
नए कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो धर्मांतरण के मामलों में सख्ती और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हैं:
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उम्रकैद की सजा: तथ्यों को छिपाकर, धोखे से, डर या धमकी देकर, या प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने वालों के लिए आजीवन कारावास या 20 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
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जमानत की कठिन प्रक्रिया: संशोधन में जमानत की प्रक्रिया को और कठिन कर दिया गया है, ताकि दोषियों को आसानी से राहत न मिले।
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शिकायत का दायरा बढ़ाया: अब कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण की शिकायत दर्ज कर सकता है, जिससे कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए प्रक्रियात्मक जांच को और मजबूत किया गया है।
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विदेशी फंडिंग पर नकेल: धर्मांतरण के लिए विदेशी फंडिंग को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है, जिसके तहत सख्त कार्रवाई होगी।
अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश
हाल ही में यूपी एटीएस और प्रयागराज पुलिस ने अवैध धर्मांतरण के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया। 5 जुलाई 2025 को बलरामपुर में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया गया। छांगुर बाबा पर हिंदू लड़कियों को इस्लाम अपनाने के लिए 8 से 16 लाख रुपये तक का लालच देने का आरोप है। जांच में पता चला कि उसने 40 से ज्यादा बैंक खातों के जरिए लगभग 100 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग हासिल की थी, जिसका इस्तेमाल शोरूम, बंगले, और लग्जरी गाड़ियां खरीदने में किया गया।
छांगुर बाबा ने शिजर-ए-तैय्यबा नामक पुस्तक छपवाकर इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया और प्रेम जाल में फंसाकर धर्मांतरण करवाया। उसने हर जाति की लड़कियों के लिए अलग-अलग रकम तय की थी: ब्राह्मण, क्षत्रिय, और सरदार लड़कियों के लिए 15-16 लाख, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख, और अन्य वर्गों के लिए 8-10 लाख रुपये। इसके अलावा, मुंबई के एक सिंधी परिवार—नवीन घनश्याम, उनकी पत्नी नीतू रोहरा, और बेटी समाले रोहरा—को भी धर्मांतरण के जरिए अपने नेटवर्क में शामिल किया गया।
इससे पहले, 28 जून 2025 को प्रयागराज पुलिस ने एक अन्य धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया और दो आरोपियों को गिरफ्तार किया। यूपी एटीएस ने 2017 से 31 जनवरी 2025 तक ऐसे 20 आरोपियों को पकड़ा है, जिनमें अलीगढ़ के उमर गौतम का रैकेट भी शामिल है।
सरकार का रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धर्मांतरण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। संशोधित कानून को लागू करने का मकसद सामाजिक समरसता बनाए रखना और धोखाधड़ी से होने वाले धर्मांतरण को पूरी तरह रोकना है। सीएम योगी ने कहा, “यह कानून उन लोगों के खिलाफ है जो धोखे, लालच, या दबाव से लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करते हैं। हमारी सरकार सनातन संस्कृति और सामाजिक एकता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।”
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हालांकि, इस संशोधित कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। 2 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इसकी संवैधानिक वैधता पर सुनवाई के लिए सहमति दी। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेदों (समानता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, और धर्म की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करता है। याचिका में यह भी दावा किया गया कि शिकायत दर्ज करने का दायरा बढ़ाने से इसका दुरुपयोग हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का नतीजा इस कानून के भविष्य पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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