महाराष्ट्र में जल संकट गहराया: बांधों में 32.10% जल भंडारण, 18% की गिरावट बांधों के सूखने से आपात स्थिति

मुंबई: महाराष्ट्र में जल संकट गंभीर रूप ले रहा है, क्योंकि राज्य के प्रमुख बांधों में जल भंडारण में भारी कमी देखी जा रही है। केंद्रीय जल आयोग (CWC) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2025 में 32 प्रमुख बांधों में जल स्तर पिछले महीने की तुलना में 18% घट गया है। वर्तमान में, इन बांधों में औसत जल भंडारण केवल 32.10% है, जो राष्ट्रीय औसत 36.16% से काफी कम है। पिछले महीने यह स्तर 50.32% था, और पिछले वर्ष की तुलना में भी यह काफी नीचे है। गर्मी के चरम पर पहुंचने के साथ, कृषि, पेयजल, और औद्योगिक उपयोग के लिए पानी की कमी का खतरा मंडरा रहा है।

20 बांधों में 50% से कम पानी

राज्य में निगरानी किए जा रहे 32 बांधों में से 20 में जल भंडारण 50% से कम है, और कई बांध 10% से भी कम क्षमता पर हैं, जो सूखने के कगार पर हैं। सोलापुर का उजनी बांध सबसे गंभीर स्थिति में है, जिसमें मात्र 1.97% जल बचा है। हालांकि, पुणे का माणिकदोह बांध 100% क्षमता पर है, और घोड़ बांध में 60.92% जल भंडारण है। मराठवाड़ा क्षेत्र में स्थिति सबसे खराब है, जहां जल स्तर 19.36% तक गिर गया है।

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विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव

जल विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बिना तत्काल कार्रवाई के यह संकट और गहरा सकता है। प्रदीप पुरंदरे, WALMI के पूर्व प्रोफेसर, ने जल प्रबंधन की कमी और गन्ने जैसे जल-गहन फसलों पर निर्भरता को संकट का प्रमुख कारण बताया। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है:

  • जल संरक्षण को प्राथमिकता: वर्षा जल संचयन और पारंपरिक जल प्रबंधन प्रणालियों (जैसे जोहड़ और बंध) को पुनर्जनन।

  • कुशल वितरण: पेयजल को प्राथमिकता देते हुए जल संसाधनों का समान वितरण।

  • डेटा-आधारित प्रबंधन: IoT और AI जैसे तकनीकों का उपयोग कर जलाशयों की रीयल-टाइम निगरानी।

  • कम्युनिटी भागीदारी: जल शक्ति अभियान और आत्मजल योजना जैसी योजनाओं में स्थानीय समुदायों को शामिल करना।

सरकारी प्रयास और चुनौतियां

महाराष्ट्र सरकार ने जलयुक्त शिवार अभियान को पुनर्जनन किया है, लेकिन CAG की 2020 की रिपोर्ट में इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए हैं। जल शक्ति मंत्रालय ने 255 जल-कमी वाले जिलों में संरक्षण अभियान शुरू किया है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि दीर्घकालिक समाधान के लिए समन्वित जल शासन और रखरखाव की जरूरत है। मराठवाड़ा में 1,866 टैंकर पानी की आपूर्ति कर रहे हैं, जो संकट की गंभीरता को दर्शाता है। यदि मानसून में देरी हुई, तो स्थिति और बदतर हो सकती है।

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