नई दिल्ली: भारत ने मिसाइल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हासिल की है, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। जमीन, समुद्र और आसमान में दुश्मनों को जवाब देने के लिए भारत की मिसाइलें हर मोर्चे पर तैयार हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में 6-7 मई को भारत ने PoK और पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर अपनी ताकत दिखाई, जहां ब्रह्मोस, रुद्रम-1 और Kh-31P जैसी मिसाइलों ने पाकिस्तान के चीनी HQ-9 डिफेंस सिस्टम को नाकाम कर दिया। भारत की मिसाइल शक्ति बैलिस्टिक, क्रूज, सतह-से-हवा, एंटी-शिप और एंटी-टैंक मिसाइलों का व्यापक भंडार है, जो आतंकवाद और क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ मजबूत रक्षा प्रदान करता है। आइए, इन मिसाइलों की क्षमताओं पर नजर डालें।
बैलिस्टिक मिसाइलें: रणनीतिक रोकथाम की रीढ़
भारत की बैलिस्टिक मिसाइलें रणनीतिक और सामरिक दोनों जरूरतों को पूरा करती हैं। ये परमाणु और पारंपरिक हथियार ले जाने में सक्षम हैं, जो भारत को जवाबी हमले की मजबूत क्षमता देती हैं।
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अग्नि सीरीज: अग्नि मिसाइलें भारत की रणनीतिक ताकत का आधार हैं।
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अग्नि-I: 700-900 किमी रेंज, मैक 3 गति, परमाणु-सक्षम, युद्धक्षेत्र में तेज तैनाती।
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अग्नि-II: 2,000 किमी रेंज, क्षेत्रीय रोकथाम के लिए उपयुक्त।
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अग्नि-III: 3,000 किमी रेंज, भारी पेलोड क्षमता।
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अग्नि-IV: 4,000 किमी रेंज, MIRV (मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल) क्षमता।
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अग्नि-V: 5,000+ किमी रेंज, ICBM, एशिया-यूरोप तक लक्ष्य भेदने में सक्षम।
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अग्नि-VI (विकासाधीन): 6,000+ किमी रेंज, उन्नत ICBM।
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Prithvi Missile
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पृथ्वी सीरीज: युद्धक्षेत्र के लिए डिज़ाइन की गई।
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पृथ्वी-I: 150 किमी रेंज, टैक्टिकल मिसाइल।
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पृथ्वी-II: 250 किमी रेंज, परमाणु-सक्षम।
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पृथ्वी-III: 350 किमी रेंज, भारी पेलोड।
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शौर्य: 700-800 किमी रेंज, हाइपरसोनिक (मैक 7), कैनिस्टर-लॉन्च, उच्च गतिशीलता।
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Shaurya Missile -
K-सीरीज (SLBM): समुद्र-आधारित परमाणु त्रिकोण को मजबूत करती हैं।
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K-15 सागरिका: 750 किमी रेंज, INS अरिहंत पर तैनात।
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K-4: 3,500 किमी रेंज, INS अरिघाट से हाल ही में परीक्षण, दूसरी बार जवाबी हमले की क्षमता।
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K-5 (विकासाधीन): 5,000 किमी रेंज, भविष्य की ताकत।
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क्रूज मिसाइलें: सटीकता और गहरा हमला

क्रूज मिसाइलें कम ऊंचाई पर उड़ान भरकर रडार से बचती हैं, जिससे गहरे और सटीक हमले संभव हैं।
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ब्रह्मोस: रूस के साथ संयुक्त उद्यम, दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल।
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रेंज: 300-500 किमी, गति: मैक 2.8-3, जमीन, समुद्र, हवा और पनडुब्बी से लॉन्च।
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क्षमता: परमाणु और पारंपरिक हथियार, नौसैनिक और जमीनी लक्ष्यों को भेदने में सक्षम।
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ब्रह्मोस-II (विकासाधीन): हाइपरसोनिक, मैक 8+ गति।
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निर्भय: 1,000-1,500 किमी रेंज, सबसोनिक, उच्च-मूल्य लक्ष्यों के लिए डिज़ाइन।
सतह-से-हवा मिसाइलें (SAM): आसमान की ढाल

भारत की हवाई रक्षा प्रणालियां विमान, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम हैं।
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आकाश: 25-45 किमी रेंज, मैक 2.5, कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बनाने की क्षमता।
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बराक-8: इजरायल के साथ विकसित, 70-100 किमी रेंज, मैक 3, सेना, नौसेना और वायुसेना में तैनात।
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S-400 ट्रायम्फ: 400 किमी रेंज, मैक 14, बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम, तैनाती शुरू।
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स्पाइडर: 20-50 किमी रेंज, तेज प्रतिक्रिया, इन्फ्रारेड और रडार गाइडेंस।
एंटी-शिप और एंटी-सबमरीन मिसाइलें: समुद्री वर्चस्व

भारतीय नौसेना की मिसाइलें समुद्री खतरों को बेअसर करती हैं।
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ब्रह्मोस (नौसैनिक): 300 किमी रेंज, जहाज और पनडुब्बी रोधी।
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धनुष: 350 किमी रेंज, पृथ्वी का नौसैनिक संस्करण, जमीन और समुद्र पर लक्ष्य।
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वरुणास्त्र: 40 किमी रेंज, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो, पानी के नीचे खतरों को नष्ट करने में सक्षम।
एंटी-टैंक मिसाइलें: जमीनी युद्ध में बढ़त

जमीनी युद्ध में बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने के लिए भारत की ATGM प्रभावी हैं।
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नाग: 3-4 किमी रेंज, तीसरी पीढ़ी, फायर-एंड-फॉरगेट, हाल ही में पोखरण में सफल परीक्षण।
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स्पाइक: 2.5-4 किमी रेंज, इजरायल से आयातित, सटीक निशाना।
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हेलिना: हेलीकॉप्टर से लॉन्च, नाग का उन्नत संस्करण।
भविष्य की प्रगति: हाइपरसोनिक और SLBM
भारत हाइपरसोनिक मिसाइलों और SLBM पर निवेश कर रहा है। ब्रह्मोस-II और हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) हाइपरसोनिक तकनीक में भारत को अग्रणी बनाएंगे। K-5 SLBM (5,000 किमी रेंज) और अग्नि-VI भारत की दूसरी बार जवाबी हमले की क्षमता को और मजबूत करेंगे। DRDO का हालिया स्क्रैमजेट इंजन परीक्षण हाइपरसोनिक मिसाइलों में क्रांति लाएगा।
आतंकवाद के खिलाफ मिसाइलों की भूमिका
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने SEAD (Suppression of Enemy Air Defence) रणनीति के तहत सुखोई-30 MKI और राफेल जेट्स से मिसाइलें दागीं, जो पाकिस्तान के रडार और HQ-9 को नष्ट करने में सफल रहीं। ब्रह्मोस की सुपरसोनिक गति और रुद्रम-1 की एंटी-रेडिएशन क्षमता ने आतंकी ठिकानों को तबाह किया। यह भारत की मिसाइलों की सटीकता और प्रभावशीलता का प्रमाण है।
वैश्विक प्रभाव
भारत की मिसाइल शक्ति ने क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा दिया है। अमेरिका और इसराइल ने भारत के आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन किया है। भारत का S-400 और बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (PAD और AAD) किसी भी हमले को नाकाम करने में सक्षम है। भारत की स्वदेशी मिसाइल प्रौद्योगिकी, जैसे अग्नि-प्राइम और नाग Mk2, आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
भारत की मिसाइलें न केवल रक्षा, बल्कि रणनीतिक रोकथाम और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी अहम हैं। समंदर से आसमान तक, भारत का मिसाइल भंडार दुनिया के सबसे मजबूत रक्षा भंडारों में से एक है, जो हर खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है।
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