नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधानों पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी और इस संबंध में वह सात दिनों के भीतर अपना जवाब दाखिल करेगी। यह आश्वासन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष दिया।
अदालत ने कहा – 5 मई को होगी अगली सुनवाई, तब तक वक्फ नियुक्तियों पर रोक
अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई 5 मई को केवल निर्देशों और अंतरिम आदेशों को लेकर होगी। साथ ही, केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि तब तक वक्फ परिषदों और बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और वक्फ घोषित संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
संशोधन के अहम बिंदु
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में शामिल करने का प्रावधान है। इसके अलावा, अदालती आदेश से वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की प्रक्रिया को भी अधिनियम में जोड़ा गया है।
विपक्ष की आपत्ति और नेताओं की प्रतिक्रिया
असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम सांसद):
उन्होंने अधिनियम को “असंवैधानिक” करार देते हुए कहा कि इस कानून के खिलाफ कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया, जिसमें वक्फ-बाय-यूजर संपत्तियों को हटाने पर रोक लगाई गई है।
अमानतुल्लाह खान (AAP नेता):
खान ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों की रक्षा हुई है, और केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन पर कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
महबूबा मुफ्ती (PDP प्रमुख):
उन्होंने कहा कि अधिनियम लागू होने के बाद कब्रिस्तान, मदरसे और मस्जिदें ढहाई जा रही हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने वक्फ को मुस्लिम समुदाय के अस्तित्व से जोड़ते हुए चेताया कि अगर मुसलमान खत्म हुए तो देश बिखर जाएगा।
याचिकाओं की पृष्ठभूमि
वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं, जिनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिकाएं प्रमुख हैं। इन याचिकाओं में तर्क दिया गया कि संशोधन मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों में हस्तक्षेप करता है और भेदभावपूर्ण है।
बीजेपी शासित राज्यों का समर्थन
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी शासित छह राज्यों ने इस अधिनियम का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
अधिनियम की प्रक्रिया
-
3 अप्रैल 2025: लोकसभा में पारित
-
4 अप्रैल 2025: राज्यसभा में पारित
-
5 अप्रैल 2025: राष्ट्रपति की मंजूरी प्राप्त
यह अधिनियम वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करता है और वक्फ संपत्तियों के नियमन से जुड़ा है, जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक व धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित होती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सात दिन में जवाब दाखिल करने और तब तक वक्फ अधिनियम 2025 पर कोई कार्रवाई न करने का आदेश देकर मामले को संवेदनशील और संतुलित ढंग से संभालने की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है। अब सबकी नजरें 5 मई को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं।