विश्व हिंदू परिषद की अनूठी पहल: अब गैर-ब्राह्मण भी बन सकेंगे पुजारी, छत्रपति संभाजी नगर में शुरू हुआ प्रशिक्षण शिविर

छत्रपति संभाजी नगर : विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने हिंदू समाज में समावेशिता और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में आयोजित 10 दिवसीय पुरोहित प्रशिक्षण वर्ग में पहली बार ब्राह्मणों के साथ-साथ गैर-ब्राह्मण समुदायों के लोगों को भी पुजारी बनने का प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में पुजारियों की कमी को पूरा करना और हिंदू संस्कृति को मजबूत करना है।

प्रशिक्षण वर्ग में 16 गैर-ब्राह्मण शामिल

विश्व हिंदू परिषद के मंदिर, मठ, अर्चक, पुरोहित संपर्क आयाम के क्षेत्र प्रमुख अनिल सांबरे ने बताया कि इस प्रशिक्षण वर्ग में कुल 24 लोग शामिल हुए, जिनमें से केवल 8 ब्राह्मण थे। शेष 16 प्रतिभागी अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और अन्य समुदायों से थे। प्रतिभागियों की शैक्षिक योग्यता की बात करें तो 3 दसवीं पास, 1 ग्यारहवीं पास, 5 बारहवीं पास, 7 ग्रेजुएट, 5 पोस्ट-ग्रेजुएट, और 1 डिप्लोमा धारक थे।

प्रशिक्षण में क्या सिखाया गया?

अनिल सांबरे ने इंडिया टीवी को दिए एक विशेष साक्षात्कार में बताया कि प्रशिक्षण में पूजा-पाठ की विधि, वास्तु पूजन, विवाह, हवन, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, पुरोहितों के पहनावे, विचारों, श्लोक उच्चारण, और ब्राह्मणों की दिनचर्या से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य प्रशिक्षित पुजारियों को तैयार करना है, जो हिंदू संस्कृति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कर सकें।”

क्यों जरूरी थी यह पहल?

VHP के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष रूप से गांवों में प्रशिक्षित पुजारियों की भारी कमी है। कई गांवों में ब्राह्मण तो दूर, पूजा-पाठ कराने वाला कोई व्यक्ति ही उपलब्ध नहीं है। अनिल सांबरे ने उदाहरण देते हुए कहा, “नागपुर जैसे शहर में गणेश पूजा के दौरान पुरोहित नहीं मिलते, तो ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।” इस कमी को पूरा करने के लिए VHP ने सभी जातियों के लिए पुरोहित प्रशिक्षण शुरू किया, ताकि हिंदू समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक जरूरतें पूरी हो सकें।

सामाजिक समावेशिता पर जोर

VHP की इस पहल में 9 से 10 विभिन्न जातियों के लोग शामिल हुए, जो हिंदू समाज में समावेशिता का संदेश देता है। सांबरे ने कहा, “हम सभी जातियों का इस प्रशिक्षण में स्वागत करते हैं। यह समाज में सद्भावना और एकता को बढ़ावा देगा।” इस शिविर की सफलता के बाद महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती, कोंकण, और कोल्हापुर जैसे क्षेत्रों से भी ऐसे प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने की मांग उठने लगी है।

ब्राह्मण समाज की नाराजगी की आशंका

VHP ने स्वीकार किया कि इस पहल से कुछ ब्राह्मण समुदाय में नाराजगी हो सकती है। सांबरे ने कहा, “हो सकता है कि कुछ लोग इसे गलत समझें, लेकिन पुरोहितों की कमी के कारण हिंदू समाज की जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पहल जातिगत भेदभाव को खत्म करने और हिंदू धर्म को और समावेशी बनाने की दिशा में एक कदम है।

भविष्य की योजनाएं

VHP ने संकेत दिया है कि इस तरह के प्रशिक्षण शिविर महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों और देश के विभिन्न राज्यों में भी आयोजित किए जाएंगे। संगठन का मानना है कि प्रशिक्षित पुजारी न केवल धार्मिक अनुष्ठानों को सुचारू करेंगे, बल्कि हिंदू समाज में एकता और सामाजिक सद्भाव को भी बढ़ावा देंगे। इस पहल को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चा तेज है, जहां कई लोग इसे सामाजिक समावेशिता की दिशा में एक सकारात्मक कदम बता रहे हैं।

सामाजिक प्रभाव और अपेक्षाएं

यह पहल हिंदू समाज में जातिगत बाधाओं को तोड़ने और ग्रामीण क्षेत्रों में धार्मिक सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह न केवल हिंदू धर्म को और समावेशी बनाएगा, बल्कि ग्रामीण भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों को भी मजबूती देगा। VHP की इस पहल को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों से सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, लेकिन संगठन इसे हिंदू समाज की एकता के लिए जरूरी मान रहा है।

यह भी पढ़ें  – अयोध्या में राम मंदिर की नई उड़ान: 5 जून को राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा, 5 शिखर चमकेंगे सोने से

Share in Your Feed

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *