19 मार्च 2025, नागपुर: महाराष्ट्र के नागपुर शहर में सोमवार, 17 मार्च 2025 की शाम को भड़की हिंसा ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। यह हिंसा मुगल शासक औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के बाद शुरू हुई, जिसके बाद कुरान जलाने की अफवाहों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
हिंसा की शुरुआत और कारण
हिंसा की शुरुआत तब हुई जब विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों ने औरंगजेब की कब्र हटाने के लिए प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान एक कपड़े पर लिखे कलमा को जलाने की घटना को कुछ लोगों ने कुरान जलाना समझ लिया, जिसके बाद अफवाहें तेजी से फैलीं। इसके जवाब में सैकड़ों लोगों की भीड़ ने मध्य नागपुर के चिटनिस पार्क और महल इलाकों में पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी।
नुकसान और पुलिस पर हमला

हिंसा में तीन डीसीपी सहित 33 पुलिसकर्मी घायल हो गए। कई वाहनों और संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया। स्थानीय लोगों का दावा है कि हमलावरों ने चुन-चुनकर हिंदू घरों और दुकानों को निशाना बनाया। पुलिस पर भी हमला हुआ, जिसमें एक डीसीपी पर कुल्हाड़ी से हमला करने की घटना सामने आई।
सरकार और पुलिस की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा में इसे “पूर्व नियोजित हमला” करार दिया। उन्होंने कहा, “पत्थरों से भरी ट्रॉली, तेज धार वाले हथियार और सुनियोजित तरीके से हमले साबित करते हैं कि यह हिंसा पहले से तय थी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” पुलिस ने अब तक 65 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और पांच एफआईआर दर्ज की हैं। शहर के 11 थाना क्षेत्रों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत कर्फ्यू लागू किया गया है।
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राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
राजनीतिक दलों ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस ने इसे गृह विभाग की नाकामी बताया, वहीं शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने सवाल उठाया कि “आरएसएस के गढ़ और सीएम के क्षेत्र में यह हिंसा कैसे हो गई?” बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की और कहा कि ऐसी घटनाएं आपसी भाईचारे को नुकसान पहुंचाती हैं।
मौजूदा स्थिति और जांच
हिंसा के बाद कई स्कूलों ने छुट्टी घोषित कर दी, और स्थानीय लोगों में अभी भी डर का माहौल है। पुलिस आयुक्त रविंद्र सिंघल ने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है, लेकिन जांच जारी है ताकि हिंसा के पीछे की पूरी साजिश का खुलासा हो सके। यह घटना एक बार फिर धार्मिक तनाव और अफवाहों के खतरनाक परिणामों को उजागर करती है।