ब्राजील : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को एक बार फिर कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि जो भी देश ब्रिक्स की “अमेरिका विरोधी नीतियों” का समर्थन करेगा, उसे 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर यह बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, “कोई भी देश जो ब्रिक्स की अमेरिका विरोधी नीतियों से जुड़ता है, उस पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। इस नीति में कोई अपवाद नहीं होगा। इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद।”
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब ब्राजील में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 का आयोजन हो रहा है। इस सम्मेलन में ब्रिक्स के 10 सदस्य देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात – ने भाग लिया। इन देशों ने हाल ही में अमेरिका और इजरायल द्वारा ईरान पर किए गए हमलों की निंदा की थी, जिसे ट्रंप ने “अमेरिका विरोधी” कदम करार दिया।
ब्रिक्स और डी-डॉलराइजेशन का मुद्दा
ब्रिक्स की स्थापना 2009 में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देना था। 2023 में इस समूह का विस्तार हुआ और इसमें इंडोनेशिया, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हुए। हाल के वर्षों में, ब्रिक्स देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने (डी-डॉलराइजेशन) की दिशा में चर्चा तेज की है। रूस और चीन विशेष रूप से अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं।
ट्रंप ने पहले भी ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा को बढ़ावा देने पर 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी दी थी। इस बार, उन्होंने 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की बात कही है, जिसे वैश्विक व्यापार पर नई चुनौतियों के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की स्थिति
भारत ने डी-डॉलराइजेशन के विचार का खुलकर समर्थन नहीं किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्थानीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देने की बात कही है, लेकिन एक नई ब्रिक्स मुद्रा के विचार को खारिज किया है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी स्पष्ट किया है कि भारत डी-डॉलराइजेशन का समर्थन नहीं करता। फिर भी, ट्रंप की इस चेतावनी से भारत-अमेरिका व्यापार वार्ताओं पर असर पड़ सकता है, क्योंकि दोनों देशों के बीच अभी तक कोई नया व्यापार समझौता नहीं हुआ है।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये टैरिफ लागू होते हैं, तो इससे ब्रिक्स देशों के साथ-साथ अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी नुकसान होगा। ब्रिक्स देशों से आयात होने वाली वस्तुओं, जैसे ब्राजील से कॉफी, चीन से इलेक्ट्रॉनिक्स और दक्षिण अफ्रीका से खनिज, की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिससे अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
इसके अलावा, ट्रंप ने 12 देशों के लिए टैरिफ पत्र तैयार होने की बात कही है, जो सोमवार को दोपहर 12 बजे ईएसटी पर जारी किए जा सकते हैं। इससे पहले, अप्रैल 2025 में ट्रंप ने सभी व्यापारिक भागीदारों के लिए टैरिफ दरों में संशोधन की घोषणा की थी, जिसके बाद वैश्विक स्तर पर विरोध और व्यापार सौदों में रुकावटें देखी गई थीं।
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