वाराणसी : सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होने जा रहा है, और इस दौरान देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है। खास तौर पर द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक, काशी विश्वनाथ मंदिर में लाखों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचेंगे। सावन 2025 को लेकर काशी विश्वनाथ धाम प्रशासन और जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस बीच, भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मंदिर प्रशासन ने स्पर्श दर्शन पर रोक लगा दी है और भक्तों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
सावन 2025 की तिथियां और महत्व
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन का महीना 11 जुलाई 2025 को रात 2:06 बजे से शुरू होगा और 9 अगस्त 2025 को रक्षाबंधन के साथ समाप्त होगा। इस बार सावन पूरे 30 दिनों का होगा, जिसमें चार सोमवार (14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, और 4 अगस्त) पड़ेंगे। सावन के सोमवार को शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस दिन भगवान शिव की पूजा, जलाभिषेक, और रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सावन महीने में कांवड़ यात्रा भी आयोजित होगी, जिसमें लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, गंगोत्री, या गौमुख से गंगाजल लेकर अपने स्थानीय शिव मंदिरों में जलाभिषेक करेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर में इस दौरान करीब डेढ़ करोड़ भक्तों के आने का अनुमान है, जिसमें प्रत्येक सोमवार को 10 लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन की व्यवस्था
काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि भारी भीड़ को ध्यान में रखते हुए कई विशेष इंतजाम किए गए हैं। सावन के पूरे महीने गर्भ गृह में स्पर्श दर्शन पर रोक रहेगी, और भक्तों को केवल झांकी दर्शन की अनुमति होगी। इसके अलावा, VIP दर्शन और सुगम दर्शन की सुविधा भी सावन महीने में बंद रहेगी, ताकि सभी भक्त सामान्य दर्शन के लिए एकसमान कतार में शामिल हों।
-
प्रवेश और बैरिकेडिंग: भक्तों को मंदिर के चारों द्वारों (गेट-4, नंदू फेरिया, सिल्को, धुंडिराज, और सरस्वती फाटक) से प्रवेश मिलेगा। गंगा का जलस्तर बढ़ने पर गंगा द्वार या ललिता घाट से प्रवेश बंद हो सकता है। जिग-जैग बैरिकेडिंग और जर्मन हैंगर के जरिए भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा।
-
प्रतिबंधित वस्तुएं: श्रद्धालुओं को स्मार्ट वॉच, मोबाइल, ईयरफोन, बैग, पेन, कैमरा, दवाइयां, नशे की सामग्री, और रिमोट कंट्रोल चाबी जैसी वस्तुएं लाने की सख्त मनाही है। ये सामान होटल, गेस्ट हाउस, या ठहरने के स्थान पर छोड़कर आएं।
-
प्लास्टिक मुक्त मंदिर: मंदिर को प्लास्टिक मुक्त रखने के लिए प्लास्टिक के कमंडल, माला, फूल, या प्रसाद की थैलियों पर प्रतिबंध रहेगा। भक्तों से मिट्टी या धातु के पात्र में गंगाजल लाने की अपील की गई है।
-
लाइव दर्शन की सुविधा: जो भक्त काशी नहीं पहुंच पा रहे हैं, वे मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट (www.shrikashivishwanath.org), यूट्यूब चैनल, और टाटा स्काई पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए दर्शन कर सकते हैं। साथ ही, 251 रुपये का ई-मनी ऑर्डर भेजकर वाराणसी डाकघर के माध्यम से प्रसाद मंगवाया जा सकता है।
-
श्रद्धालुओं की सुविधा: भीड़ में राहत के लिए मिस्ट फैन, एयर कूलर, और मैटिंग की व्यवस्था की गई है। भक्तों को गुड़-पानी, ग्लूकोज, ORS, बिस्किट, चॉकलेट, और कैंडी उपलब्ध कराई जाएगी। बुजुर्गों, बच्चों, और दिव्यांगों के लिए गोदौलिया से मैदागिन तक मुफ्त ई-रिक्शा सेवा होगी।
-
सुरक्षा व्यवस्था: मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र में CCTV, ड्रोन, और हेलिकॉप्टर से निगरानी होगी। विशेष कमांडो टीम और चिकित्सा काउंटर भी तैनात रहेंगे।
कांवड़ यात्रा और पूजा विधि
सावन का महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। कांवड़ यात्रा में भक्त गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी, और गन्ने के रस से अभिषेक करते हैं। रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष फलदायी माना जाता है। भक्तों को सावन में तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा), बैंगन का सेवन, और बाल-नाखून काटने से बचना चाहिए।
भक्तों के लिए जरूरी टिप्स
-
यात्रा की योजना: सावन में दर्शन के लिए 5-6 घंटे का इंतजार और 3 किमी तक पैदल चलना पड़ सकता है। खाली पेट मंदिर न आएं और हल्का भोजन करें।
-
पूजा सामग्री: बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी, और गंगाजल जैसे सामान लाएं, लेकिन प्लास्टिक के पात्रों का उपयोग न करें।
-
स्वास्थ्य और सुरक्षा: गर्मी और भीड़ को देखते हुए पानी और ORS साथ रखें। मंदिर परिसर में चिकित्सा काउंटर उपलब्ध होंगे।
-
लाइन में अनुशासन: ठगों से बचें और मंदिर प्रशासन के नियमों का पालन करें। बैरिकेडिंग के सहारे कतार में रहें।
-
ऑनलाइन दर्शन: यदि काशी नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो ऑनलाइन दर्शन का लाभ उठाएं। मंदिर की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीमिंग उपलब्ध होगी।
यह भी पढ़ें –खेतलावास में हरियालो राजस्थान अभियान: स्कूल में 150 पौधे लगाए गए