बलूचिस्तान: पाकिस्तान एक बार फिर आंतरिक अस्थिरता की भट्ठी में झुलसता दिख रहा है। सबसे बड़ा प्रांत बलूचिस्तान और सरहदी इलाका खैबर पख्तून-ख्वा अब आज़ादी की मांग के साथ सड़कों पर उतर आया है। पाकिस्तान आर्मी की बर्बरता और दशकों से हो रहे शोषण के खिलाफ लोग खुलकर विरोध कर रहे हैं।
वजीरिस्तान में हाल ही में एक बड़े जनआंदोलन के दौरान हज़ारों की संख्या में पश्तून समुदाय के लोग मोबाइल की टॉर्च जलाकर सड़कों पर उतरे और ‘है हक हमारा आज़ादी, हम छीन के लेंगे आज़ादी’ जैसे नारे लगाए। रात के अंधेरे में गूंजते इन नारों ने सत्ता के गलियारों में खलबली मचा दी है।
बलूचिस्तान लंबे समय से अलगाववादी आंदोलनों का केंद्र रहा है। यहां की जनता पाकिस्तान सरकार पर प्राकृतिक संसाधनों की लूट और स्थानीय लोगों की उपेक्षा का आरोप लगाती रही है। अब खैबर पख्तून-ख्वा भी इसी राह पर चलता दिख रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ये आंदोलन और तेज़ हुए, तो पाकिस्तान का टूटना तय है। बलूचिस्तान और खैबर पख्तून-ख्वा के अलग होने की स्थिति में सिंध और पंजाब में भी अलगाववाद की आग भड़क सकती है।
पाकिस्तान सरकार और सेना के सामने यह संकट किसी भी समय विस्फोटक रूप ले सकता है। सवाल अब यह नहीं कि पाकिस्तान बंटेगा या नहीं, बल्कि यह है कि कब और कितने हिस्सों में?
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