हैदराबाद : तेलंगाना सरकार ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग (BC) के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी की अध्यक्षता में 10 जुलाई को हुई 19वीं कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इसके लिए तेलंगाना पंचायत राज अधिनियम, 2018 में संशोधन हेतु एक अध्यादेश लाया जाएगा। यह कदम तेलंगाना उच्च न्यायालय के 25 जून 2025 के निर्देश के अनुरूप है, जिसमें तीन महीने के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया गया था।
कैबिनेट का फैसला और कानूनी प्रक्रिया
कैबिनेट ने 2018 के पंचायत राज अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाने का निर्णय लिया, ताकि पिछड़ा वर्ग के लिए 42% आरक्षण लागू किया जा सके। राजस्व मंत्री पोंगुलेटी श्रीनिवास रेड्डी ने बताया कि मार्च 2025 में विधानसभा ने दो विधेयक पारित किए थे, जिनमें स्थानीय निकायों, शिक्षा और सरकारी नौकरियों में बीसी के लिए 42% आरक्षण का प्रावधान था। हालांकि, ये विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजे गए थे, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली।
इस बार कानूनी अड़चनों से बचने के लिए कैबिनेट ने एडवोकेट जनरल से सलाह ली। श्रीनिवास रेड्डी ने कहा, “हमने अध्यादेश को कानूनी रूप से मजबूत बनाने के लिए सभी सावधानियां बरती हैं, ताकि यह न्यायिक जांच में टिक सके।” यह अध्यादेश विधानसभा के विशेष सत्र या राज्यपाल की मंजूरी के बाद लागू होगा।
उच्च न्यायालय का निर्देश और समयसीमा
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 25 जून 2025 को राज्य सरकार को 30 सितंबर 2025 तक पंचायत और अन्य स्थानीय निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था। इस समयसीमा को पूरा करने के लिए सरकार ने 42% बीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने की योजना बनाई है। पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने कहा, “बीसी तेलंगाना की जनसंख्या का 56.33% हिस्सा हैं, जो 2.09 करोड़ लोग हैं। यह आरक्षण उनकी सामाजिक और राजनीतिक उन्नति के लिए जरूरी है।”
50% आरक्षण सीमा पर बहस
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, कुल आरक्षण 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। तेलंगाना में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और बीसी को मिलाकर आरक्षण 70% तक पहुंच सकता है। पोन्नम प्रभाकर ने तर्क दिया कि तमिलनाडु में 60% से अधिक और कई बीजेपी शासित राज्यों में 50% की सीमा पार हो चुकी है। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के उप-वर्गीकरण के फैसले और राज्य की जाति गणना के आधार पर 42% आरक्षण उचित है।”
जाति गणना और बीसी आयोग
तेलंगाना सरकार ने 2024 में व्यापक सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जातिगत (SEEEPC) सर्वेक्षण कराया था, जिसके आधार पर बीसी आयोग ने 42% आरक्षण की सिफारिश की। आयोग के अध्यक्ष बसानी वेंकटेश्वर राव ने सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि बीसी समुदायों की आबादी और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति इस आरक्षण को उचित ठहराती है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस सरकार का यह कदम 2023 के विधानसभा चुनावों में कामारेड्डी घोषणा पत्र का हिस्सा था, जिसे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खर्गे ने समर्थन दिया था। बीसी नेताओं ने इस फैसले का स्वागत किया है। बीआरएस नेत्री के. कविता ने भी ट्वीट कर इस निर्णय को बीसी समुदाय की जीत बताया। हालांकि, बीआरएस ने चेतावनी दी कि बिना राष्ट्रपति की मंजूरी के सरकारी आदेश (GO) के जरिए आरक्षण लागू करना कानूनी चुनौती को न्योता दे सकता है।
विपक्षी बीआरएस और बीजेपी ने कांग्रेस पर विधेयकों में देरी का आरोप लगाया है। बीआरएस नेता तलसानी श्रीनिवास यादव ने कहा, “कांग्रेस ने वादा तो किया, लेकिन केंद्र से मंजूरी लेने में नाकाम रही।” बीसी प्रजा प्रतिनिधि फोरम ने मांग की कि अध्यादेश को जल्द लागू किया जाए।
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