Ayodhya: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) कानून 2025 के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने भयावह रूप ले लिया है। 10-12 अप्रैल, 2025 को धुलियान और शमशेरगंज में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हुई, जिसमें एक पिता-पुत्र की निर्मम हत्या शामिल है। कई हिंदू परिवारों ने घर छोड़कर मालदा और अन्य जिलों में शरण ली, जिससे क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव चरम पर पहुंच गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया, दावा करते हुए कि वक्फ कानून ने हालात बिगाड़े। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कानून स्वयं विवादास्पद है।
अयोध्या में संतों का प्रतीकात्मक विरोध
मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर कथित अत्याचार के खिलाफ अयोध्या के संतों ने 18 अप्रैल, 2025 को अनोखा विरोध दर्ज किया। संतों ने ममता बनर्जी की प्रतीकात्मक चिता सजाकर अयोध्या के श्मशान घाट पर धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ ‘अंतिम संस्कार’ किया। इस प्रदर्शन का नेतृत्व सत्य सनातन धर्म प्रचारक दिवाकराचार्य महाराज ने किया, जिन्होंने ममता की नीतियों को ‘हिंदू विरोधी’ और ‘अलोकतांत्रिक’ करार दिया। उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर अत्याचार और ममता की तुष्टिकरण नीति अस्वीकार्य है। 21वीं सदी का युवा डरने नहीं, डराने का काम करता है।” संतों ने राष्ट्रपति से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि ममता ‘हिंदू-विहीन बंगाल’ बनाना चाहती हैं।
संतों और हिंदू संगठनों का आक्रोश
प्रदर्शनकारी संतों और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने ममता सरकार पर हिंदुओं की सुरक्षा में विफलता और दंगाइयों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। VHP ने 19 अप्रैल, 2025 को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए, जिसमें ममता के इस्तीफे और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) से जांच की मांग की गई। अयोध्या के संतों ने कहा, “21वीं सदी का संत अब भागने में नहीं, भगाने में विश्वास करता है।” यह बयान ममता सरकार के लिए राजनीतिक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। BJP नेताओं, जैसे मिथुन चक्रवर्ती और सुवendu अधिकारी, ने भी ममता पर ‘वोट बैंक की राजनीति’ और ‘जिहादी तत्वों’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
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राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
मुर्शिदाबाद हिंसा और अयोध्या के विरोध ने ममता बनर्जी के लिए राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। BJP और हिंदू संगठन हिंदू सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं। ममता ने हिंसा को ‘पूर्व नियोजित’ बताते हुए BSF और केंद्र सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को प्रवेश की अनुमति देने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने ममता पर संसद द्वारा पारित कानून को लागू न करने की घोषणा को असंवैधानिक करार दिया। हिंसा में 150 से अधिक गिरफ्तारियां हुईं, और कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय बल तैनात किए गए। यह घटना पश्चिम बंगाल में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और प्रशासनिक चुनौतियों को उजागर करती है, जिसका असर आगामी 2026 विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है।