19 मार्च 2025, नई दिल्ली: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स करीब नौ महीने और 13 दिन तक अंतरिक्ष में रहने के बाद आज बुधवार को सफलतापूर्वक धरती पर लौट आई हैं। उनके साथ उनके सहयोगी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर और दो अन्य क्रू सदस्य, नासा के निक हेग और रूस के अलेक्जेंडर गोर्बुनोव भी वापस आए हैं। यह चारों अंतरिक्ष यात्री स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए फ्लोरिडा के समुद्र तट पर सुरक्षित रूप से उतरे।
यह मिशन मूल रूप से केवल आठ दिनों का था
सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पिछले साल 5 जून 2024 को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे। यह मिशन मूल रूप से केवल आठ दिनों का था, लेकिन स्टारलाइनर में तकनीकी खराबी—जैसे कि हीलियम रिसाव और थ्रस्टर की समस्या—के कारण उनकी वापसी में देरी हो गई। नासा ने स्टारलाइनर को बिना क्रू के सितंबर 2024 में वापस लाने का फैसला किया था, जिसके बाद सुनीता और विल्मोर को स्पेसएक्स के क्रू-9 मिशन के जरिए वापस लाने की योजना बनाई गई।
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स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल भारतीय समयानुसार करीब 3:27 बजे फ्लोरिडा के समुद्र में उतरा।
स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल आज सुबह भारतीय समयानुसार करीब 3:27 बजे फ्लोरिडा के समुद्र में उतरा। लैंडिंग से पहले कैप्सूल ने अपने चार पैराशूट सफलतापूर्वक खोले और 17 घंटे की यात्रा पूरी की। लैंडिंग के बाद चारों अंतरिक्ष यात्रियों को कैप्सूल से सुरक्षित बाहर निकाला गया और उनकी प्रारंभिक मेडिकल जांच की गई। सुनीता विलियम्स ने बाहर निकलते ही हाथ हिलाकर और अंगूठा दिखाकर अपनी खुशी जाहिर की।अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मिशन की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि सुनीता और विल्मोर की वापसी के लिए उनकी सरकार ने स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के साथ मिलकर काम किया। ट्रंप ने पूर्व प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि बाइडेन सरकार ने इन अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में “छोड़ दिया” था।
दोनों अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं,
सुनीता विलियम्स ने आईएसएस पर अपने लंबे प्रवास के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और स्पेसवॉक का रिकॉर्ड भी अपने नाम रखा। नासा ने बताया कि दोनों अंतरिक्ष यात्री पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन अगले 45 दिनों तक उनकी सेहत की निगरानी मेडिकल टीम करेगी। उनकी वापसी को लेकर दुनियाभर में उत्साह देखा जा रहा है, खासकर भारत में जहां उन्हें गर्व के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।