भारत-नेपाल मैत्री का प्रतीक बन रहा सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, विद्यार्थियों के लिए बन रहा मील का पत्थर।

सिद्धार्थनगर से विशेष रिपोर्ट: भारत-नेपाल की मजबूत मैत्री और शैक्षिक सहयोग को नया आयाम देते हुए सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर सीमावर्ती क्षेत्र में विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभर रहा है। हाल ही में लुम्बिनी विकास कोष के निवर्तमान कार्यकारिणी सदस्य श्री राजेश ज्ञावाली ने विश्वविद्यालय का शिष्टाचार भेंट कर नेपाल के विद्यार्थियों के हित में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

श्री ज्ञावाली ने बताया कि विश्वविद्यालय की भौगोलिक स्थिति नेपाल बॉर्डर के समीप होने के कारण नेपाली विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा अब पहले की अपेक्षा अधिक सुलभ हो गई है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अलीगढ़वा बॉर्डर को भारत-नेपाल आवागमन के लिए खोला जाए, जिससे नेपाल के विद्यार्थी निजी वाहनों से आसानी से विश्वविद्यालय तक पहुँच सकें। इससे न केवल शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति होगी, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में नेपाल के अनेक विद्यार्थी विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत हैं और उनके लिए विशेष छात्रावास की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। साथ ही उन्होंने कुलपति प्रो. कविता शाह से मिलकर नेपाल के विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति की मांग भी की, जिस पर कुलपति ने हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।

श्री ज्ञावाली ने कहा कि यह विश्वविद्यालय दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों और शैक्षिक समन्वय का उत्कृष्ट उदाहरण है। भारत और नेपाल के विद्यार्थियों को एक साझा मंच देने वाला यह संस्थान निश्चित रूप से एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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