नई दिल्ली: पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने भारतीय रक्षा अधिकारियों से गोपनीय जानकारी हासिल करने के लिए डिजिटल हनी ट्रैप का खतरनाक हथियार अपनाया। ‘सेजल कपूर’ नाम की एक पाकिस्तानी जासूस ने 2015 से 2018 के बीच 98 भारतीय अधिकारियों को अपने जाल में फंसाया, जिनमें सेना, नौसेना, वायुसेना और पुलिस के कर्मी शामिल थे। हाल ही में ज्योति मल्होत्रा की जासूसी गिरफ्तारी के बाद सेजल का नाम फिर चर्चा में है।
सेजल कपूर का हनी ट्रैप नेटवर्क
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सेजल कपूर कोई वास्तविक व्यक्ति नहीं, बल्कि ISI द्वारा संचालित एक फर्जी सोशल मीडिया पहचान थी। फेसबुक पर भारतीय लड़कियों के आकर्षक नामों जैसे सेजल कपूर, नेहा शर्मा और पूजा रंजन के साथ प्रोफाइल बनाकर ISI ने अधिकारियों को निशाना बनाया। सेजल ने यूके की ‘ग्रोथ कंपनी’ की कर्मचारी बनकर और हेज एविएशन की रिक्रूटर बनकर लक्ष्यों को लुभाया।
हैकिंग का तरीका: व्हिस्पर मालवेयर
सेजल अपने टारगेट से फेसबुक और लिंक्डइन पर संपर्क करती और उन्हें ‘व्हिस्पर’, ‘चैट टू हायर’ और ‘एक्स-ट्रस्ट’ जैसे मालवेयर ऐप्स इंस्टॉल करने को कहती। ये ऐप्स डाउनलोड होते ही कंप्यूटर का डेटा चुरा लेते। व्हिस्पर मालवेयर 25 इंटरनेट पतों का उपयोग कर अपनी पहचान छिपाता और एंटी-मालवेयर सॉफ्टवेयर से बचता। यह फोटो, वर्ड और एक्सेल फाइलों को स्कैन कर पासवर्ड तोड़ देता।
ब्रह्मोस मिसाइल लीक में सेजल की भूमिका
2018 में ब्रह्मोस मिसाइल की गोपनीय जानकारी लीक होने के मामले में सेजल का नाम सामने आया। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वरिष्ठ इंजीनियर निशांत अग्रवाल को उत्तर प्रदेश ATS और मिलिट्री इंटेलिजेंस ने गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि अग्रवाल ने सेजल के साथ चैट में मालवेयर लिंक पर क्लिक कर संवेदनशील दस्तावेज लीक किए। सेजल ने उन्हें यूके में नौकरी का लालच दिया था।
ज्योति मल्होत्रा केस से सेजल की चर्चा
हाल ही में हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा की ISI के लिए जासूसी के आरोप में गिरफ्तारी ने सेजल कपूर जैसे हनी ट्रैप की याद ताजा कर दी। खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि ISI का यह नेटवर्क अब भी सक्रिय है और सोशल मीडिया के जरिए नए टारगेट की तलाश में है। जांच में सेजल जैसे प्रोफाइल्स की निगरानी बढ़ा दी गई है।
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