क्राइम: भारत में रोहिंग्या शरणार्थियों की आमद एक गंभीर मुद्दा बन गया है, जिसने देश के संसाधनों पर दबाव बढ़ा दिया है। इन शरणार्थियों के कारण स्थानीय नागरिकों के अधिकारों का हनन हो रहा है, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ रहा है।
सरकारी स्कूलों में घुसपैठ रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती किया जा रहा है, जिससे गरीब भारतीय बच्चों के अधिकारों का हनन हो रहा है। इन बच्चों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय हो रहा है।
संसाधनों पर दबाव
रोहिंग्या शरणार्थियों के कारण देश के संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है। आवास, भोजन, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी हो रही है, जिससे आम नागरिकों का जीवन प्रभावित हो रहा है।

सुरक्षा चिंताएं
रोहिंग्या शरणार्थियों की बढ़ती संख्या सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर रही है। इनमें से कुछ लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
समाधान की आवश्यकता
इस समस्या का समाधान जरूरी है। सरकार को रोहिंग्या शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए उचित नीति बनानी चाहिए, ताकि स्थानीय नागरिकों के अधिकारों का हनन न हो और देश के संसाधनों पर दबाव कम हो सके।
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