मॉस्को: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन संकट के बीच “ओरेशनिक वारहेड्स” नामक हाइपरसोनिक मिसाइलों के इस्तेमाल की चेतावनी दी है, जिससे वैश्विक तनाव चरम पर पहुंच गया है। पुतिन ने दावा किया कि ये मिसाइलें 3 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से हमला करती हैं और 4000 डिग्री सेल्सियस तक तापमान उत्पन्न करती हैं, जो सूर्य की सतह के तापमान के बराबर है। इस बयान ने अमेरिका, नाटो और संयुक्त राष्ट्र को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि विशेषज्ञ इसे तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका से जोड़ रहे हैं।
ओरेशनिक वारहेड्स: रूस का घातक हथियार
पुतिन के अनुसार, ओरेशनिक वारss Avangard और Kinzhal मिसाइलें किसी भी एंटी-मिसाइल डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती हैं। ये मिसाइलें ध्वनि की गति से 5 गुना तेज (Mach 5+) चलती हैं और इनकी मारक क्षमता 2000 किमी तक है। 2024 में यूक्रेन के ड्निप्रो में इनका परीक्षण किया गया, जहां इन्होंने भयानक तबाही मचाई।
यूक्रेन से परे निशाना: पश्चिमी देशों पर हमला?
पुतिन ने साफ संकेत दिए कि रूस अब सिर्फ यूक्रेन तक सीमित नहीं रहेगा। अगर पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका और नाटो, यूक्रेन को हथियार देते रहे, तो रूस जवाबी हमले में इन देशों को निशाना बना सकता है। विशेषज्ञ इसे रूस की मनोवैज्ञानिक रणनीति मानते हैं, लेकिन इसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
ज़ेलेंस्की पर हमला और कठोर चेतावनी
पुतिन ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को “पश्चिम की कठपुतली” कहकर आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “ज़ेलेंस्की और उसके पश्चिमी आकाओं को जल्द पछताना पड़ेगा। रूस अब चुप नहीं रहेगा।” उनकी यह “निर्दयी” प्रतिक्रिया यूक्रेन और पश्चिमी देशों के लिए एक खुली धमकी है।
तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा
अगर रूस इन हाइपरसोनिक मिसाइलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता है, तो यह संघर्ष वैश्विक स्तर पर फैल सकता है। अमेरिका और नाटो ने इसे गंभीरता से लिया है, और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह युद्ध अब क्षेत्रीय नहीं रहा, बल्कि वैश्विक शांति के लिए खतरा बन गया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भविष्य
पुतिन के इस बयान के बाद विश्व समुदाय में हड़कंप मच गया है। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने शांति वार्ता की मांग की है, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच तनाव कम होने के आसार नहीं दिख रहे। क्या यह वाकई तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत है, या सिर्फ रूस की रणनीति? यह देखना बाकी है।