पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर सियासी घमासान चरम पर है। सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक के बीच राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने बड़ा बयान देकर हलचल मचा दी है। उन्होंने संकेत दिया है कि यदि वोटर लिस्ट रिवीजन में पारदर्शिता नहीं बरती गई, तो उनकी पार्टी चुनाव बहिष्कार पर विचार कर सकती है। हालांकि, तेजस्वी ने अंतिम फैसला जनता की राय पर निर्भर बताया है।
पटना से दिल्ली तक हंगामा
वोटर लिस्ट रिवीजन का मुद्दा बिहार विधानसभा से लेकर संसद तक गूंज रहा है। बुधवार को बिहार विधानसभा में RJD विधायकों ने काले कपड़े पहनकर विरोध जताया, जबकि संसद में I.N.D.I.A. गठबंधन के सांसदों ने ब्लैक प्रोटेस्ट किया। विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) के इशारे पर काम कर रहा है। तेजस्वी यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, “पहले वोटर सरकार चुनते थे, अब सरकार वोटर चुन रही है। अगर ईमानदारी से चुनाव नहीं कराए जा सकते, तो चुनाव का क्या मतलब?” उन्होंने बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा।
विपक्ष को हार का डर: JDU
जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद संजय झा ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, “I.N.D.I.A. गठबंधन को हार का डर सता रहा है, इसलिए वे SIR का विरोध कर रहे हैं।” सूत्रों के अनुसार, RJD ने बिहार चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन के अन्य दलों से संपर्क किया है। तेजस्वी के चुनाव बहिष्कार के बयान ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है। सरकार ने SIR पर चर्चा से इनकार कर दिया है, जिससे विपक्ष का विरोध और तेज होने की संभावना है।
SIR का काम अंतिम दौर में
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन का काम अंतिम चरण में है। अब तक 98.01% वोटरों को कवर किया जा चुका है। 20 लाख मृतक वोटरों, 28 लाख स्थायी रूप से प्रवास कर चुके वोटरों और 7 लाख डुप्लिकेट वोटरों के नाम हटाए गए हैं। 1 लाख वोटरों का कोई पता नहीं चल सका है। 7.17 करोड़ वोटरों (90.89%) के फॉर्म प्राप्त और डिजिटाइज्ड हो चुके हैं। फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया के लिए अब केवल 3 दिन शेष हैं, जिसकी अंतिम तिथि 25 जुलाई 2025 है।
विपक्ष के आरोप और चिंताएं
विपक्ष का दावा है कि SIR के तहत 11 विशेष दस्तावेजों की मांग गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वोटरों को निशाना बनाने की साजिश है। तेजस्वी ने कहा कि आधार और राशन कार्ड जैसे सामान्य दस्तावेजों को स्वीकार न करना संदेहास्पद है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 1% वोटरों के नाम भी सूची से हटे, तो 7.9 लाख मतदाता प्रभावित होंगे, जिसका असर दर्जनों सीटों के नतीजों पर पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में मामला
विपक्षी दलों और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने SIR की प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट ने आयोग से आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान पत्र के रूप में शामिल करने को कहा, लेकिन आयोग ने इसका विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने SIR पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन 28 जुलाई को अगली सुनवाई के लिए आयोग से जवाब मांगा है।
आगे क्या?
तेजस्वी यादव ने विपक्षी दलों के 35 नेताओं को पत्र लिखकर SIR के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला करार देते हुए पारदर्शिता की मांग की है। बिहार में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में संभावित हैं, और SIR का मुद्दा सियासी माहौल को और गर्म करने वाला है।
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