माले: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 जुलाई 2025 को ब्रिटेन यात्रा के बाद मालदीव पहुंचे, जहां राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ उनका भव्य स्वागत किया। माले हवाई अड्डे पर मुइज्जू के साथ विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री सहित कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे। यह स्वागत भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है, जो चीन और पाकिस्तान के लिए करारा जवाब है।
भारत की कूटनीति से बदले मुइज्जू के तेवर
मोहम्मद मुइज्जू ने 2023 में ‘इंडिया आउट’ कैंपेन के साथ मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव जीता था। तब उन्होंने भारत विरोधी रुख अपनाते हुए भारतीय सैन्यकर्मियों को हटाने की मांग की थी और चीन की ओर झुकाव दिखाया था। हालांकि, भारत की रणनीतिक कूटनीति और मालदीव की आर्थिक चुनौतियों ने मुइज्जू को भारत की अहमियत समझा दी। मालदीव की अर्थव्यवस्था संकट में थी, विदेशी मुद्रा भंडार केवल $440 मिलियन रह गया था, और चीन से लिया कर्ज ($1.37 बिलियन) बोझ बन गया। भारत ने $750 मिलियन के करेंसी स्वैप समझौते और $50 मिलियन की ट्रेजरी बिल रोलओवर के साथ मालदीव की मदद की।
मालदीव के स्वतंत्रता दिवस में मुख्य अतिथि
मालदीव 26 जुलाई 2025 को अपना 60वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, जिसमें पीएम मोदी को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह यात्रा भारत-मालदीव संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। मुइज्जू ने भारत को ‘मूल्यवान साझेदार’ करार देते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने की अपील की, क्योंकि भारतीय पर्यटकों की संख्या में 2024 में 42% की कमी आई थी।
चीन-पाक को भारत की कूटनीति का जवाब
मुइज्जू के शुरुआती चीन-समर्थक रुख और भारत विरोधी बयानों ने दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा किया था। लेकिन भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और आर्थिक सहायता ने मालदीव को भारत के करीब ला दिया। माले में भारतीय झंडों की सजावट और मुइज्जू का गर्मजोशी भरा स्वागत इस बदलाव का प्रतीक है। यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगी, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी सुदृढ़ करेगी, जो चीन और पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश है।
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