नई दिल्ली: पाकिस्तान आज अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में $7 बिलियन बेलआउट पैकेज की समीक्षा और $1.3 बिलियन की नई किश्त की मांग कर रहा है। यह बैठक पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन भारत ने इस फंडिंग पर गंभीर चिंता जताई है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान को दिया गया हर पैसा आतंकवाद को बढ़ावा देने और चीनी हथियार खरीदने में इस्तेमाल होता है।
भारत की आपत्ति
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत 6-7 मई को भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें मसूद अजहर का परिवार और रऊफ अजहर मारा गया। इसके बावजूद, पाकिस्तान ने मारे गए आतंकियों को राजकीय सम्मान दिया, जिसकी वैश्विक निंदा हुई। भारत ने IMF से कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद समर्थन और ISI की गतिविधियां फंडिंग की समीक्षा की मांग करती हैं।
पाकिस्तान की आर्थिक तंगी
पाकिस्तान की $350 बिलियन की अर्थव्यवस्था 70% डेट-टू-GDP अनुपात और $22 बिलियन के बाहरी कर्ज भुगतान के बोझ तले दबी है। 2024 में $7 बिलियन का IMF बेलआउट और मार्च 2025 में $1.3 बिलियन का क्लाइमेट लोन मिला, लेकिन सुधारों की कमी से स्थिति बिगड़ी।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय का रुख
भारत ने IMF को चेतावनी दी कि पाकिस्तान की लोन मंजूरी से आतंकवाद को बल मिल सकता है। अमेरिका और इसराइल ने भारत के आतंकवाद विरोधी कदमों का समर्थन किया, जबकि UN ने संयम की अपील की। सोशल मीडिया पर भारतीयों ने पाकिस्तान को “आतंकी राज्य” करार देते हुए लोन रोकने की मांग की।
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