श्रीनगर: पहलगाम के बैसरण घाटी में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच में सनसनीखेज खुलासे हुए हैं। जांच से पता चला कि यह हमला सुनियोजित नरसंहार था, जिसमें आतंकियों ने एंट्री और एग्जिट पॉइंट को रणनीतिक रूप से निशाना बनाया। हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे।
आतंकियों की रणनीति
NIA की जांच के अनुसार, चार आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया। दो आतंकी पेड़ों के पीछे छिपकर आए, जबकि दो अन्य एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर पहले से तैनात थे। आतंकियों को पता था कि गोलीबारी शुरू होने पर लोग घबराकर इन पॉइंट्स की ओर भागेंगे। इसी रणनीति के तहत उन्होंने दोनों पॉइंट्स पर हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप एक पल में सात लोगों की जान चली गई।
40 कारतूस बरामद
जांच के दौरान NIA ने घटनास्थल से 40 कारतूस बरामद किए, जो AK-47 और M4 राइफलों से दागे गए थे। फोरेंसिक विश्लेषण से पुष्टि हुई कि आतंकी स्वचालित हथियारों और परिष्कृत संचार उपकरणों से लैस थे। जांच टीम ने बैसरण घाटी के जंगल और आतंकियों के संभावित भागने के रास्तों का वीडियोग्राफी भी की है।
NIA की कार्रवाई
NIA ने 45 स्थानीय दुकानदारों और पशु सवारों से पूछताछ की है। एक जिपलाइन ऑपरेटर, जिसे हमले के दौरान एक वीडियो में देखा गया, भी जांच के दायरे में है। जांच में पाया गया कि आतंकियों ने हमले से पहले क्षेत्र की टोह ली थी और संभवतः स्थानीय समर्थकों की मदद ली थी। J&K पुलिस ने तीन संदिग्धों—आदिल हुसैन ठोकर, अली भाई, और हाशिम मूसा—के स्केच जारी किए हैं, जिन पर 20 लाख रुपये का इनाम घोषित है।
पाकिस्तान का कनेक्शन
खुफिया एजेंसियों ने हमले के डिजिटल निशान पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद और कराची में सुरक्षित ठिकानों तक ट्रेस किए हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा और उसकी सहयोगी द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े हैं। NIA अब आतंकियों के स्थानीय सहायकों और विदेशी हैंडलर्स की तलाश में है।
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