नई दिल्ली: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में जीत के बावजूद, इंदिरा गांधी की सरकार ने 1968 में गुजरात के रन ऑफ कच्छ का 828 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान को सौंप दिया। दुबे ने इसे “आयरन लेडी” की छवि पर कटाक्ष करते हुए “डर के कारण जमीन की नीलामी” करार दिया।
अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल का फैसला
दुबे के अनुसार, 1965 के युद्ध के बाद रन ऑफ कच्छ सीमा विवाद को हल करने के लिए भारत ने मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाकर संयुक्त राष्ट्र के तहत एक ट्राइब्यूनल का गठन किया। इसमें भारत ने यूगोस्लाविया के एल्स बेबलर को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया। ट्राइब्यूनल ने 1968 में फैसला सुनाया, जिसके तहत विवादित क्षेत्र का 90% हिस्सा भारत को मिला, जबकि 10% (लगभग 828 वर्ग किमी) पाकिस्तान को दे दिया गया।
दस्तावेज के साथ दावा
निशिकांत दुबे ने अपने दावे के समर्थन में एक दस्तावेज की कॉपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा की। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस ने 1965 का युद्ध जीता, लेकिन 1968 में रन ऑफ कच्छ का हिस्सा पाकिस्तान को दे दिया। पूरी संसद ने विरोध किया, लेकिन इंदिरा गांधी ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में यह फैसला लिया।” उन्होंने कांग्रेस पर पाकिस्तान के प्रति नरम रुख रखने का भी आरोप लगाया।
राजनीतिक विवाद की शुरुआत
दुबे के इस बयान ने सियासी हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने अभी तक इस आरोप का कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया, लेकिन पार्टी नेताओं ने पहले इंदिरा गांधी की 1971 के युद्ध में निर्णायक भूमिका का हवाला देकर उनकी “मजबूत नेतृत्व” की छवि को रेखांकित किया है। दूसरी ओर, बीजेपी दुबे के आरोपों को इंदिरा और कांग्रेस की कथित कमजोर नीतियों के सबूत के रूप में पेश कर रही है।
ऐतिहासिक संदर्भ
रन ऑफ कच्छ, गुजरात के कच्छ जिले में स्थित एक दलदली क्षेत्र, भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से विवाद का कारण रहा है। 1965 के युद्ध में भारत ने इस क्षेत्र में रणनीतिक जीत हासिल की थी, लेकिन ट्राइब्यूनल के फैसले ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच समझौता कराया, जिसमें सिर क्रीक जैसे मुद्दों को भी हल करने की कोशिश की गई।
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