MP हाईकोर्ट ने केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक की उम्रकैद बरकरार रखी, पति की हत्या में वैज्ञानिक दलीलें नाकाम

जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 29 जुलाई 2025 को छतरपुर की पूर्व केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा। ममता पर अपने पति, रिटायर्ड डॉक्टर नीरज पाठक की 2021 में बिजली के झटके देकर हत्या करने का आरोप है। कोर्ट में उनकी वैज्ञानिक दलीलें और आत्मविश्वास भरी पैरवी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सबूतों और परिस्थितियों के आधार पर सजा को उचित ठहराया।

मामला रहस्यमयी मौत से हत्या का खुलासा

2021 में छतरपुर के लोकनाथपुरम स्थित अपने घर में 63 वर्षीय डॉ. नीरज पाठक मृत पाए गए थे। प्रारंभ में ममता पाठक ने दावा किया था कि वह अपने बेटे के साथ झांसी गई थीं और लौटने पर पति को मृत पाया। पुलिस ने शुरू में इसे बिजली के झटके से हुई मौत माना, लेकिन पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच ने हत्या की ओर इशारा किया। जांच में पता चला कि ममता ने कथित तौर पर नीरज को पहले नींद की गोलियां (ओलैंज़ापाइन) दीं और फिर इलेक्ट्रिक वायर से करंट देकर उनकी हत्या की। ड्राइवर के बयान, नीरज की एक ऑडियो क्लिप जिसमें उन्होंने ममता द्वारा प्रताड़ना की बात कही थी, और अन्य सबूतों ने मामले को मजबूत किया।

सेशन कोर्ट से हाईकोर्ट तक का सफर

2022 में छतरपुर सेशन कोर्ट ने ममता पाठक को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। ममता ने अपने मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत प्राप्त की और जबलपुर हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील दायर की। उन्होंने बिना वकील के खुद अपनी पैरवी करने का फैसला किया।

कोर्ट में वैज्ञानिक दलीलें, फिर भी नाकाम

जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष ममता ने अपनी केमिस्ट्री विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए तर्क दिए। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम में थर्मल बर्न और इलेक्ट्रिक बर्न के बीच अंतर बिना रासायनिक विश्लेषण के नहीं बताया जा सकता। उन्होंने दावा किया कि जब करंट शरीर से गुजरता है, तो मेडिकल मेटल के कण ऊतकों में जम जाते हैं, जिन्हें HCl या नाइट्रिक एसिड में घोलकर जांचा जाता है। ममता ने यह भी तर्क दिया कि उनके घर में MCB और RCCB जैसे सुरक्षा उपकरण थे, जिससे करंट से मौत संभव नहीं थी।

जज ने हैरानी से पूछा, “क्या आप केमिस्ट्री प्रोफेसर हैं?” ममता ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “जी हां।” यह पल कोर्ट रूम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने ममता को इंटरनेट सनसनी बना दिया।

हाईकोर्ट का फैसला: सजा बरकरार

97 पन्नों के विस्तृत फैसले में हाईकोर्ट ने ममता की दलीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य, जैसे नींद की गोलियों की बरामदगी, इलेक्ट्रिक वायर, और सीसीटीवी फुटेज, स्पष्ट रूप से ममता की ओर इशारा करते हैं। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि घटना के समय कोई बाहरी व्यक्ति घर में नहीं था। ममता को तुरंत ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया गया।

पृष्ठभूमि: दांपत्य विवाद

जांच में सामने आया कि ममता और नीरज के बीच 20 साल से विवाद चल रहा था, जिसमें अवैध संबंधों का शक मुख्य कारण था। ममता ने पहले पुलिस में नीरज के खिलाफ शिकायतें दर्ज की थीं, जो बेबुनियाद पाई गई थीं। नीरज की ऑडियो क्लिप, जिसमें उन्होंने ममता द्वारा प्रताड़ना की बात कही थी, ने मामले को और पुख्ता किया।

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