आइजोल: मिजोरम ने 98.2% साक्षरता दर हासिल कर भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है। मंगलवार को मिजोरम विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने शिक्षा मंत्रालय के ULLAS पहल के तहत इस ऐतिहासिक उपलब्धि की घोषणा की। यह उपलब्धि सामुदायिक भागीदारी और सरकारी नीतियों के सहयोग का परिणाम है।
ULLAS और सामुदायिक प्रयासों की जीत
2011 की जनगणना में मिजोरम की साक्षरता दर 91.33% थी, जो देश में तीसरे स्थान पर थी। नव भारत साक्षरता कार्यक्रम (NILP) के तहत 2023 में किए गए सर्वे में 3,026 निरक्षर व्यक्तियों की पहचान हुई, जिनमें से 1,692 ने सीखने की इच्छा दिखाई। 292 स्वयंसेवी शिक्षकों, जिनमें छात्र, शिक्षक और समुदाय के लोग शामिल थे, ने मिजो संस्कृति के ‘त्लावमंगाइहना’ (निस्वार्थ सेवा) के मूल्य के साथ इन लोगों को पढ़ाया।
98.2% साक्षरता: एक नया कीर्तिमान
पेरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) 2023-24 के अनुसार, मिजोरम ने 98.2% साक्षरता दर हासिल की, जो शिक्षा मंत्रालय के 95% के पूर्ण साक्षरता मानक को पार करती है। समग्र शिक्षा और SCERT के तहत स्थापित स्टेट सेंटर फॉर लिटरेसी ने मिजो और अंग्रेजी में शिक्षण सामग्री जैसे ‘वर्तियन’ और ‘रोमेई’ विकसित की। स्वयंसेवकों ने स्कूलों, सामुदायिक हॉल और घरों में कक्षाएं आयोजित कीं।
भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने इसे “मिजो लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति और शिक्षा के प्रति विश्वास” का परिणाम बताया। उन्होंने डिजिटल साक्षरता, वित्तीय जागरूकता और उद्यमिता कौशल को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने इसे राष्ट्रीय मॉडल बताते हुए कहा, “मिजोरम ने दिखाया कि नीति और जुनून के मेल से क्या हासिल किया जा सकता है।”
राष्ट्रीय प्रेरणा
मिजोरम की यह उपलब्धि अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है। केरल, जो लंबे समय से साक्षरता में अग्रणी रहा, अब दूसरे स्थान पर है। मिजोरम का मॉडल, जो स्वयंसेवी भावना और सरकारी समर्थन पर आधारित है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत देशव्यापी साक्षरता के लिए एक खाका प्रस्तुत करता है।