लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में संपत्ति खरीदना अब और महंगा हो गया है। लखनऊ जिला प्रशासन ने 10 साल बाद सर्किल रेट में संशोधन किया है, जो 1 अगस्त 2025 से लागू हो गया है। नए सर्किल रेट के तहत गोमतीनगर, इंदिरानगर, जानकीपुरम, और महानगर जैसे प्रमुख शहरी क्षेत्रों में 25% तक की बढ़ोतरी की गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 15% की वृद्धि हुई है। इस बदलाव से रजिस्ट्री और स्टांप ड्यूटी का खर्च बढ़ेगा, जिससे प्रॉपर्टी की कीमतें भी महंगी होंगी।
नए सर्किल रेट: क्षेत्रवार विवरण
लखनऊ जिला प्रशासन ने उत्तर प्रदेश स्टांप (संपत्ति मूल्यांकन) नियम, 1997 के तहत नए सर्किल रेट की घोषणा की। प्रमुख क्षेत्रों में संशोधित दरें इस प्रकार हैं:
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गोमतीनगर: 7100-7500 रुपये प्रति वर्ग फुट (लगभग 77,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर)
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महानगर: 6043 रुपये प्रति वर्ग मीटर
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इंदिरानगर: 6000 रुपये प्रति वर्ग फुट (लगभग 65,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर)
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जानकीपुरम: 5000 रुपये प्रति वर्ग फुट से अधिक
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शहीद पथ (अंसल और वृंदावन योजना): 4700 रुपये प्रति वर्ग फुट
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ग्रामीण क्षेत्र (कृषि भूमि): 15% की औसत वृद्धि
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गैर-कृषि भूमि: 25% की औसत वृद्धि
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बहुमंजिला फ्लैट्स: 20% की वृद्धि
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वाणिज्यिक संपत्ति (दुकानें, कार्यालय, गोदाम): 20-50% की वृद्धि
वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए, यदि संपत्ति मास्टर प्लान में वाणिज्यिक के रूप में चिह्नित है, तो गैर-कृषि दरों से 50% अधिक मूल्यांकन होगा। 2015 के बाद विकसित नए क्षेत्रों, जैसे टाउनशिप और लक्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स, में भी दरें बढ़ाई गई हैं।
क्यों हुई बढ़ोतरी?
लखनऊ में सर्किल रेट की यह पहली संशोधन 2015 के बाद हुआ है। शहर में तेजी से शहरीकरण, बुनियादी ढांचे का विकास (जैसे पूरनचल एक्सप्रेसवे, मेट्रो फेज II, और आउटर रिंग रोड), और संपत्ति की बढ़ती मांग ने इस वृद्धि को प्रेरित किया है। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (वित्त) राकेश कुमार ने बताया कि इस संशोधन का उद्देश्य संपत्ति लेनदेन में पारदर्शिता लाना और कम मूल्यांकन को रोकना है। 2025 में संपत्ति की कीमतों में 22.6% की वार्षिक वृद्धि और पहले तिमाही में रियल एस्टेट बिक्री में 48% की उछाल ने भी इस फैसले को समर्थन दिया।
स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री पर प्रभाव
सर्किल रेट वह न्यूनतम मूल्य है, जिसके आधार पर संपत्ति का लेनदेन दर्ज किया जाता है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क सर्किल रेट या बाजार मूल्य में से जो अधिक हो, उस पर आधारित होते हैं। उदाहरण के लिए, महानगर में 1 करोड़ रुपये की संपत्ति की रजिस्ट्री पर 1 लाख रुपये का रजिस्ट्री शुल्क देना होगा। नए रेट लागू होने से यह खर्च और बढ़ेगा। खरीदारों को अब अधिक स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्री शुल्क देना होगा, जिससे संपत्ति खरीद की लागत बढ़ जाएगी।
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