कैंची धाम मेला: 15 जून को भारी भीड़ की संभावना, ट्रैफिक जाम से बचने के लिए शटल सेवा का प्लान

हल्द्वानी: उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध कैंची धाम मंदिर में 15 जून को स्थापना दिवस के अवसर पर हर साल की तरह इस बार भी भव्य मेला आयोजित होगा। इस मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। मेला शुरू होने से तीन-चार दिन पहले से ही भीड़ उमड़ने की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियां तेज कर दी हैं। खास तौर पर हल्द्वानी, भीमताल और भवाली मार्ग पर ट्रैफिक जाम की स्थिति से बचने के लिए एक फूलप्रूफ प्लान तैयार किया गया है।

ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर खास इंतजाम

पिछले अनुभवों को देखते हुए प्रशासन ने इस बार ट्रैफिक व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया है। हल्द्वानी से भीमताल और भवाली मार्ग पर जाम की स्थिति से बचने के लिए रोडवेज और केमू की बसों को शटल सेवा के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला लिया गया है। इससे सड़कों पर छोटे वाहनों की संख्या को सीमित रखने में मदद मिलेगी। इस संबंध में आरटीओ दफ्तर में एक बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें रोडवेज अधिकारी, कैंची धाम प्रबंधन समिति के सदस्य और टैक्सी यूनियन के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में ट्रैफिक व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई।

पिछले साल की तरह इस बार भी भवाली और भीमताल में पार्किंग की व्यवस्था की जाएगी, जहां से श्रद्धालुओं को शटल बसों के जरिए मंदिर तक पहुंचाया जाएगा। भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। हल्द्वानी से अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जाने वाले वाहनों को खुटानी बैंड से धानाचूली बैंड के रास्ते डायवर्ट किया जाएगा।

कैंची धाम मेला और इसकी खासियत

कैंची धाम मंदिर का स्थापना दिवस हर साल 15 जून को मनाया जाता है। इस दिन मंदिर परिसर में एक विशाल मेला लगता है, जिसमें नीम करोली बाबा के भक्त दर्शन और आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं। मान्यता है कि कैंची धाम में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर परिसर में हनुमान जी, भगवान राम, शिव और दुर्गा के मंदिर भी हैं, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। मेले के दौरान भंडारे का आयोजन होता है, जिसमें मालपुआ प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

कौन थे नीम करोली बाबा?

नीम करोली बाबा 20वीं सदी के प्रसिद्ध भारतीय संत और हिंदू गुरु थे। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था और उनका जन्म 1900 के आसपास उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। वे हनुमान जी के परम भक्त थे और उन्हें कलयुग में हनुमान जी का अवतार माना जाता है। मात्र 11 वर्ष की आयु में उनके माता-पिता ने उनकी शादी कर दी थी, लेकिन उन्होंने साधु बनने के लिए घर छोड़ दिया। बाद में अपने पिता के अनुरोध पर वे गृहस्थ जीवन में लौटे, उनके दो बेटे और एक बेटी हुई। 1958 में उन्होंने फिर से संन्यासी जीवन अपनाया।

1964 में नीम करोली बाबा ने नैनीताल के पास कैंची धाम आश्रम की स्थापना की, जो आज उनके भक्तों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। इस आश्रम को इसकी खास बनावट के कारण “कैंची” नाम मिला, क्योंकि यह दो पहाड़ियों के बीच कैंची की तरह बना हुआ है। नीम करोली बाबा ने 1973 में समाधि ली, लेकिन उनकी शिक्षाएं और चमत्कार आज भी भक्तों के बीच चर्चित हैं।

प्रशासन की अपील

नैनीताल पुलिस ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे ट्रैफिक नियमों का पालन करें और शटल सेवा का उपयोग करें। पुलिस ने मिशन मर्यादा के तहत स्वच्छता और अनुशासन बनाए रखने की सलाह दी है। एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा ने बताया कि भीड़ को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की गई है, ताकि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रहे।

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