वाशिंगटन: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी में क्वॉड शिखर सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच मई 2025 में हुए सीजफायर को अपनी मध्यस्थता का परिणाम बताया था। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि सीजफायर दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत का नतीजा था, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का।
जयशंकर का बयान: “हमें पता है क्या हुआ था”
वाशिंगटन में पत्रकारों से बातचीत में जयशंकर ने कहा, “उस समय जो हुआ, उसका रिकॉर्ड बहुत स्पष्ट है। सीजफायर दोनों देशों के DGMOs के बीच बातचीत से हुआ। इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।” उन्होंने ट्रंप के उस दावे को खारिज किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने व्यापार सौदों का लालच देकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका। जयशंकर ने जोर देकर कहा, “हम इसे यहीं छोड़ देते हैं।”
ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में भारत ने 6-7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी मारे गए। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के 11 सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया।
9-10 मई को पाकिस्तान के DGMO ने भारतीय DGMO से संपर्क कर सीजफायर की मांग की, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया। भारत ने बार-बार स्पष्ट किया कि यह द्विपक्षीय सैन्य बातचीत का परिणाम था।
ट्रंप का बार-बार का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर दावा किया कि उनकी मध्यस्थता और व्यापार सौदों की धमकी ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध रोका। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों को “परमाणु युद्ध” से बचाया। हालांकि, भारत ने हर बार इन दावों को खारिज किया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी 18 जून को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप से फोन पर स्पष्ट किया कि सीजफायर में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी।
क्वॉड शिखर सम्मेलन और भारत की स्थिति
वाशिंगटन में क्वॉड (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया। उन्होंने कहा, “आतंकवादियों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। हम उन सरकारों को भी बख्शने वाले नहीं, जो आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं।” जयशंकर ने यह भी उल्लेख किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान कई देशों ने भारत का समर्थन किया, जबकि केवल तुर्की और अजरबैजान ने पाकिस्तान का खुलकर साथ दिया।
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