नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना (IAF) अपनी लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता को और मजबूत करने के लिए इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) की एयर-लॉन्च्ड लॉन्ग रेंज आर्टिलरी (Air LORA) मिसाइल खरीदने की योजना बना रही है। यह क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल 400-430 किलोमीटर की रेंज में दुश्मन के ठिकानों, जैसे हवाई अड्डों, कमांड सेंटरों और किलेबंद बंकरों को सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर में रैम्पेज मिसाइल की सफलता के बाद IAF का यह कदम दुश्मन के उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों को भेदने की रणनीति को दर्शाता है।
Air LORA की खासियतें
Air LORA एक सुपरसोनिक क्वासी-बैलिस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में डिप्रेस्ड प्रक्षेप पथ पर उड़ान भरती है, जिससे इसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
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रेंज: 400-430 किलोमीटर, जो भारतीय पायलटों को दुश्मन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना हमला करने की सुविधा देता है।
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गति: मैक 5+ की सुपरसोनिक गति, जो इसे अत्यंत घातक बनाती है।
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सटीकता: सर्कुलर एरर प्रोबेबल (CEP) 10 मीटर से कम, जो इसे पिनपॉइंट सटीकता प्रदान करता है।
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पेलोड: 570 किलोग्राम तक का वॉरहेड, जिसमें ब्लास्ट फ्रैगमेंटेशन या डीप-पेनेट्रेशन विकल्प शामिल हैं।
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नेविगेशन: जीपीएस और इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) का संयोजन, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सटीक निशाना सुनिश्चित करता है।
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फायर एंड फॉरगेट: लॉन्च के बाद पायलट तुरंत डिसइंगेज कर सकता है, जिससे मिशन की सुरक्षा बढ़ती है।
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लचीलापन: मिशन के दौरान टारगेट को बदला जा सकता है, जो डायनमिक युद्ध परिस्थितियों में फायदेमंद है।
मिसाइल का वजन 1600 किलोग्राम और लंबाई 5.2 मीटर है। इसे सुखोई Su-30 MKI जैसे लड़ाकू विमानों पर आसानी से एकीकृत किया जा सकता है, जिसमें एक Su-30 MKI चार Air LORA मिसाइलें ले जा सकता है।
ब्रह्मोस के बावजूद Air LORA क्यों?
भारत के पास पहले से ही ब्रह्मोस, स्कैल्प ईजी, प्रलय, और रैम्पेज जैसी लंबी दूरी की सटीक मिसाइलें हैं। फिर भी, Air LORA की मांग का कारण इसकी अनूठी विशेषताएं हैं। ब्रह्मोस, जो एक रैमजेट-पावर्ड क्रूज मिसाइल है, कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है, जबकि Air LORA का क्वासी-बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ इसे रडार से बचने में सक्षम बनाता है। ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) में रैम्पेज मिसाइल की सफलता, जहां IAF के जगुआर जेट्स ने पाकिस्तान के सुखर बेस पर सटीक हमले किए, ने लंबी दूरी के स्टैंड-ऑफ हथियारों की आवश्यकता को रेखांकित किया। Air LORA की 400+ किमी रेंज और कम लागत (ब्रह्मोस की तुलना में, जिसकी कीमत 20-30 करोड़ रुपये प्रति यूनिट है) इसे एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा
IAF, इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के साथ मिलकर Air LORA को भारत में ही निर्मित करने की योजना बना रही है। 2023 में IAI और BEL ने शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम के लिए एक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, और अब यह साझेदारी Air LORA के लिए तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा देगी। यदि यह डील पूरी होती है, तो शुरुआती बैच या 18 मिसाइलों का स्क्वाड्रन 2026 या 2027 तक तैनात हो सकता है। यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ पहल को मजबूती देगा और भारतीय रक्षा उद्योग की स्वदेशी क्षमताओं को बढ़ाएगा।
रणनीतिक महत्व
Air LORA का अधिग्रहण भारत की रणनीतिक और सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह मिसाइल Su-30 MKI और राफेल जैसे विमानों पर तैनात की जा सकती है, जिससे IAF को दुश्मन के क्षेत्र में गहरे और सुरक्षित हमले करने की क्षमता मिलेगी। खास तौर पर, यह पाकिस्तान और चीन जैसे क्षेत्रीय खतरों के खिलाफ प्रभावी होगी। ऑपरेशन सिंदूर और 2019 के बालाकोट हमले ने लंबी दूरी के हथियारों की जरूरत को उजागर किया, ताकि पायलटों को दुश्मन के उन्नत वायु रक्षा सिस्टम जैसे पाकिस्तान के HQ-9 और LY-80 से जोखिम कम हो।
विशेषज्ञों की राय
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रक्षा विशेषज्ञ अजय सिंह: “Air LORA की सुपरसोनिक गति और क्वासी-बैलिस्टिक प्रक्षेप पथ इसे ब्रह्मोस का पूरक बनाता है। यह IAF को विभिन्न परिदृश्यों में लचीलापन प्रदान करेगा।”
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IAI के प्रवक्ता: “Air LORA को Aero India 2025 में प्रदर्शित किया गया, जहां इसने अपनी उन्नत तकनीक और सटीकता से विशेषज्ञों को प्रभावित किया।”
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BEL के अधिकारी: “IAI के साथ हमारी साझेदारी न केवल सैन्य जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा विनिर्माण को भी बढ़ावा देगी।”
Air LORA मिसाइल का संभावित अधिग्रहण भारतीय वायुसेना की लंबी दूरी की सटीक मारक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। ब्रह्मोस और रैम्पेज जैसे हथियारों के साथ यह मिसाइल IAF को एक “सुपर स्ट्राइक ट्रायो” प्रदान करेगी, जो क्षेत्रीय खतरों का मुकाबला करने में गेम-चेंजर साबित हो सकती है। भारत में इसका स्वदेशी निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देगा और भारत-इजरायल रक्षा सहयोग को और मजबूत करेगा। यह डील न केवल IAF की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक प्रमुख सटीक हमले की शक्ति के रूप में स्थापित करेगी।
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