नई दिल्ली: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI भारतीय सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर हनीट्रैप और जासूसी कर रही है। खुफिया एजेंसियों ने एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जिसमें पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली, और असम से कई जासूस गिरफ्तार किए गए हैं। जांच में खुलासा हुआ कि ये सिम कार्ड ISI को भारतीय नागरिकों द्वारा मुहैया कराए गए, जिन्हें हनीट्रैप में फंसाने के लिए इस्तेमाल किया गया।
भारतीय सिम कैसे पहुंचे पाकिस्तान?
जांच में पकड़े गए हसीन ने कबूल किया कि उसने ISI के लिए भारतीय सिम कार्ड्स सप्लाई किए। उसने पाकिस्तानी हैंडलर को OTP शेयर किए, जिसके जरिए ISI ने व्हाट्सएप और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भारतीय नंबरों का इस्तेमाल शुरू किया। ये नंबर DRDO अधिकारियों जैसे संवेदनशील पदों पर मौजूद लोगों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए उपयोग किए गए।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी गतिविधि
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई नंबर अचानक एक्टिव हुए, जो पहले बंद थे। इन नंबरों से भारत में बातचीत और मैसेजिंग हो रही थी, लेकिन कॉल्स पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे थे। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक DRDO अधिकारी से संपर्क किया, जिसे हनीट्रैप में फंसाने की कोशिश हुई थी। कासिम और हसीन नाम के दो भाइयों से अलग-अलग टीमें पूछताछ कर रही हैं।
कैसे पकड़ा गया जासूसी नेटवर्क?
IB ने लंबे समय से संदिग्ध नंबरों पर सर्विलांस रखा था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, और असम में कई नंबर एक्टिव हुए। इनकी गतिविधि एन्क्रिप्टेड ऐप्स और पेमेंट गेटवे के जरिए बढ़ी। नंबरों को ट्रैक करने पर ISI का जासूसी नेटवर्क सामने आया।
किन-किन राज्यों से हुई गिरफ्तारी?
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हरियाणा: ज्योति मल्होत्रा (हिसार), देवेंद्र सिंह ढिल्लों (कैथल), अरमान और तारीफ (नूंह), नोमान इलाही (पानीपत)।
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पंजाब: सुखप्रीत सिंह और कर्णबीर सिंह (गुरदासपुर), गजाला और यमीन (मालेरकोटला), पलक शेर मसीह और सुरज मसीह (अमृतसर), मोहम्मद अली मुर्तजा (जालंधर)।
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यूपी: शहजाद (रामपुर), तुफैल (वाराणसी)।
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दिल्ली: मोहम्मद हारून।
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असम: 7 लोग पकड़े गए।
यह नेटवर्क राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा था। जांच अभी जारी है।