नई दिल्ली: भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद जम्मू-कश्मीर में रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं को पुनर्जनन की योजना बनाई है। इस सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में जल संसाधन मंत्री सीआर पाटिल, बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा होगी। यह कदम 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ भारत की असैन्य कार्रवाइयों का हिस्सा है।
छह प्रमुख परियोजनाओं पर फोकस
सूत्रों के अनुसार, सावलकोट (1,856 MW), पाकल दुल (1,000 MW), रतले (850 MW), बुर्सर (800 MW), किरू (624 MW), और किर्थई I और II (1,320 MW) परियोजनाओं को गति दी जाएगी। इनके पूरा होने से जम्मू-कश्मीर में 10,000 मेगावाट बिजली उत्पादन और मैदानी इलाकों में सिंचाई व पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी। संधि के निलंबन से अब नई परियोजनाओं के लिए पाकिस्तान को छह महीने का नोटिस देने की बाध्यता खत्म हो गई है।
चिनाब, झेलम और वुलर झील पर नजर
भारत अब चिनाब और झेलम नदियों पर नई परियोजनाएं शुरू करने और वुलर झील को पुनर्जनन पर विचार कर रहा है, जो पहले संधि के कारण संभव नहीं था। डेटा साझा करने की प्रक्रिया भी बंद होगी।
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रणनीतिक योजनाएं
सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार दीर्घकालिक, मध्यावधि और अल्पकालिक योजनाओं पर काम कर रही है, जिसमें जलविद्युत परियोजनाओं का पुनरुद्धार अल्पकालिक लक्ष्य है। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को PM नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की।