DRDO,भारत: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आंध्र प्रदेश के कुर्नूल स्थित नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में MK-2(A) लेजर-डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) का सफल परीक्षण किया। इस उपलब्धि के साथ भारत अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है। यह हथियार ड्रोन, मिसाइलों और छोटे प्रोजेक्टाइल्स को 5 किलोमीटर की दूरी से 30 किलोवाट की लेजर किरणों से नष्ट कर सकता है। यह तकनीक भारतीय रक्षा को अभेद्य बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
लेजर हथियार की ताकत और विशेषताएं
लेजर हथियार (Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation) एक निर्देशित ऊर्जा हथियार है, जो उच्च-ऊर्जा किरणों से लक्ष्य को गर्मी के प्रभाव से नष्ट करता है। DRDO की यह प्रणाली तेज, सटीक और कम लागत वाली है। एक हमले की लागत मात्र 2 लीटर पेट्रोल जितनी है। यह बिना ध्वनि या दृश्य प्रभाव के अदृश्य हमला करता है और बार-बार उपयोग के लिए गोला-बारूद की जरूरत नहीं पड़ती। DRDO हाई-एनर्जी लेजर (HEL) और माइक्रोवेव हथियारों पर भी काम कर रहा है।
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लाभ और चुनौतियां
इस हथियार के फायदों में त्वरित प्रतिक्रिया, कम लागत और पुन: उपयोग की क्षमता शामिल है। हालांकि, धूल, धुंध या बारिश जैसे मौसमी प्रभाव इसकी क्षमता को कम कर सकते हैं। लंबी दूरी के लिए अधिक शक्ति और सटीक लक्ष्य प्रणाली की जरूरत भी एक चुनौती है। फिर भी, यह तकनीक लागत और प्रभावशीलता के मामले में पारंपरिक हथियारों से कहीं आगे है।
भारत की रक्षा में मील का पत्थर
DRDO का यह लेजर हथियार कार्यक्रम भारत को भविष्य के युद्धों में आत्मनिर्भर बनाने का प्रतीक है। यह न केवल वर्तमान खतरों जैसे ड्रोन और मिसाइल हमलों से सुरक्षा देगा, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी देश को मजबूत करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तकनीक के पूरी तरह लागू होने पर भारत की रक्षा क्षमता नई ऊंचाइयों को छूएगी।