DMK: द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) ने हाल ही में सत्ता में आने पर उर्दू को अनिवार्य करने का वादा किया था। इस वादे को पूरा करने के लिए पार्टी जुट गई है और इसके लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं।
उर्दू को बढ़ावा देने की योजना
डीएमके ने उर्दू को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं। इनमें से एक योजना यह है कि सरकारी स्कूलों में उर्दू को अनिवार्य विषय बनाया जाएगा। इसके अलावा, उर्दू भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विपक्ष की आलोचना
हालांकि, डीएमके के इस वादे की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि यह वादा हिंदी विरोधी है और इससे तमिलनाडु के लोगों को नुकसान होगा। लेकिन डीएमके ने इन आलोचनाओं को नकार दिया है और कहा है कि उर्दू को अनिवार्य करने से तमिलनाडु के लोगों को फायदा होगा।
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उर्दू का महत्व
उर्दू एक महत्वपूर्ण भाषा है जो भारत में व्यापक रूप से बोली जाती है। यह भाषा मुसलमानों की पारंपरिक भाषा है, लेकिन यह अन्य समुदायों के लोगों द्वारा भी बोली जाती है। उर्दू को अनिवार्य करने से तमिलनाडु के लोगों को इस भाषा को सीखने और इसके महत्व को समझने का अवसर मिलेगा।
उर्दू को अनिवार्य करने का वादा
डीएमके का उर्दू को अनिवार्य करने का वादा एक महत्वपूर्ण कदम है जो तमिलनाडु के लोगों को इस भाषा के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करेगा। हालांकि, इस वादे की आलोचना भी हो रही है, लेकिन डीएमके ने इन आलोचनाओं को नकार दिया है। live24indianews