नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई हिस्सों में पानी की किल्लत ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अनुसार, वजीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स में हरियाणा से कम पानी की आपूर्ति के कारण उत्पादन में 25-30% की कमी आई है। इसकी वजह से ग्रेटर कैलाश, साउथ एक्सटेंशन, कश्मीरी गेट, आईटीओ जैसे प्रमुख इलाकों में पानी की सप्लाई प्रभावित हुई है।
वजीराबाद जलाशय का जलस्तर गिरा
दिल्ली के जल संकट की मुख्य वजह वजीराबाद जलाशय का जलस्तर सामान्य 674.50 फीट से घटकर 668.70 फीट तक पहुंचना है। यह जलाशय वजीराबाद, चंद्रावल, और ओखला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स को कच्चा पानी उपलब्ध कराता है। हरियाणा से यमुना नदी के माध्यम से कम पानी छोड़े जाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। DJB का कहना है कि इन प्लांट्स को आवश्यक कच्चा पानी उपलब्ध कराने में चुनौतियां आ रही हैं, जिससे पीने योग्य पानी का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
प्रभावित इलाके
पानी की किल्लत से दिल्ली के निम्नलिखित इलाके सबसे अधिक प्रभावित हैं:
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ग्रेटर कैलाश
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साउथ एक्सटेंशन
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मूलचंद
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कश्मीरी गेट
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मजनूं का टीला
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आईएसबीटी
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आईटीओ
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राजघाट
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सीजीओ कॉम्प्लेक्स
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डिफेंस कॉलोनी
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रामलीला ग्राउंड
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दिल्ली गेट
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एनडीएमसी क्षेत्र
इन क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति या तो कम दबाव के साथ हो रही है या पूरी तरह बंद है। निवासियों को टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जिससे उनकी दैनिक जरूरतें पूरी करने में मुश्किल हो रही है।
दिल्ली की पानी की जरूरत और आपूर्ति
दिल्ली को प्रतिदिन 1,290 मिलियन गैलन (MGD) पानी की आवश्यकता है, लेकिन DJB वर्तमान में केवल 950-1,000 MGD पानी की आपूर्ति कर पा रहा है। वजीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 131 MGD और चंद्रावल की 94 MGD है, लेकिन दोनों ही प्लांट अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे हैं।
दिल्ली के पानी के स्रोत
दिल्ली अपनी पानी की जरूरतों के लिए 90% तक पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। प्रमुख स्रोत निम्नलिखित हैं:
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यमुना नदी: हरियाणा के माध्यम से 389 MGD (40%) पानी की आपूर्ति।
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गंगा नदी: मुनक नहर और अपर गंगा कैनाल के जरिए उत्तर प्रदेश से 253 MGD (25%)।
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भाखड़ा-नंगल बांध: पंजाब से रवि-व्यास नदियों के माध्यम से 221 MGD (22%)।
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भूजल: रैनी वेल्स और ट्यूबवेल्स से 130 MGD (13%)।
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रेन वाटर हार्वेस्टिंग: सीमित स्तर पर, जिसे DJB बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
हरियाणा पर निर्भरता और विवाद
दिल्ली को यमुना के पानी का बड़ा हिस्सा हरियाणा से मिलता है, जो मुनक नहर, कैरियर लाइन्ड चैनल (CLC), और दिल्ली सब-ब्रांच (DSB) के जरिए सप्लाई होता है। 1994 के एमओयू और 1996 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, दिल्ली और हरियाणा के बीच पानी की आपूर्ति को लेकर अक्सर विवाद होता है। दिल्ली सरकार का आरोप है कि हरियाणा 683 क्यूसेक के बजाय 549 क्यूसेक (CLC) और 330 क्यूसेक के बजाय 306 क्यूसेक (DSB) पानी दे रहा है। वहीं, हरियाणा का दावा है कि वह दिल्ली को उसका पूरा हिस्सा दे रहा है।
यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ा
पानी की कमी के साथ-साथ यमुना में अमोनिया का स्तर बढ़ना भी एक बड़ी समस्या है। हाल के दिनों में अमोनिया का स्तर 0.9 पीपीएम से बढ़कर 5 पीपीएम तक पहुंच गया है, जिससे वजीराबाद और चंद्रावल प्लांट्स का उत्पादन 50% तक कम हो गया। DJB के अनुसार, प्लांट्स 1 पीपीएम से अधिक अमोनिया वाले पानी को ट्रीट नहीं कर सकते। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से औद्योगिक कचरा नदी में डाले जाने को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
X पर #DelhiWaterCrisis ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग पानी की किल्लत और टैंकर माफिया की वापसी पर नाराजगी जता रहे हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी शासित हरियाणा और केंद्र सरकार पर पानी रोकने का आरोप लगाया है, जबकि बीजेपी का कहना है कि दिल्ली सरकार का कुप्रबंधन और टैंकर माफिया को बढ़ावा देना संकट की वजह है।
समाधान के प्रयास
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कानूनी कार्रवाई: दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा से अतिरिक्त पानी की मांग की है।
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जल संरक्षण: DJB ने पानी की बर्बादी पर 2,000 रुपये का जुर्माना और रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
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बुनियादी ढांचा: पाइपलाइनों में रिसाव को कम करने और वैकल्पिक स्रोतों की तलाश पर जोर दिया जा रहा है।
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