Delhi University: राजनीतिक विज्ञान, समाजशास्त्र और भूगोल के PG पाठ्यक्रमों से हटाए गए पाकिस्तान, चीन और इस्लाम से संबंधित चैप्टर

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) ने अपने पोस्ट ग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रमों में बड़े बदलाव किए हैं। राजनीतिक विज्ञान के पाठ्यक्रम से ‘पाकिस्तान और विश्व’, ‘समकालीन विश्व में चीन की भूमिका’, ‘इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध’, ‘पाकिस्तान: राज्य और समाज’, और ‘धार्मिक राष्ट्रवाद और राजनीतिक हिंसा’ जैसे चैप्टरों को हटा दिया गया है। यह फैसला DU की स्थायी समिति की 25 जून 2025 को हुई बैठक में लिया गया। इसके साथ ही समाजशास्त्र और भूगोल के PG पाठ्यक्रमों में भी बदलाव किए गए हैं। स्थायी समिति की सदस्य डॉ. मोनामी सिन्हा ने इसकी जानकारी दी।

राजनीतिक विज्ञान पाठ्यक्रम में बदलाव

DU की स्थायी समिति ने राजनीतिक विज्ञान के पांच वैकल्पिक पाठ्यक्रमों को हटाने या संशोधन के लिए विभाग को वापस भेजा है। समिति के कुछ सदस्यों ने इन पाठ्यक्रमों पर ‘पाकिस्तान का महिमामंडन’ करने का आरोप लगाया। डॉ. मोनामी सिन्हा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान और चीन जैसे भू-राजनीतिक विषयों को हटाना अकादमिक दृष्टि से कमजोर निर्णय है। वहीं, समिति के सदस्य प्रो. हरेंद्र तिवारी ने इसे ‘भारत-केंद्रित’ पाठ्यक्रम बनाने की दिशा में कदम बताया और पूछा, “केवल इस्लाम और अंतरराष्ट्रीय संबंध पर ही पाठ क्यों? हिंदू या सिख धर्म पर क्यों नहीं?” अगली बैठक 1 जुलाई को होगी, जहां इन बदलावों पर और चर्चा होगी।

समाजशास्त्र और भूगोल में भी बदलाव

समाजशास्त्र और भूगोल के PG पाठ्यक्रमों में भी संशोधन किए गए हैं। भूगोल के पाठ्यक्रम में ‘एससी जनसंख्या का वितरण’ विषय को हटाने की सिफारिश की गई, क्योंकि इसमें जाति से संबंधित सामग्री को विवादास्पद माना गया। समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में मार्क्स, वेबर और दुर्खीम जैसे पश्चिमी सिद्धांतकारों पर केंद्रित होने पर आपत्ति जताई गई और भारतीय सिद्धांतकारों को शामिल करने को कहा गया। साथ ही, केवल चर्च के उल्लेख पर आपत्ति उठाते हुए अन्य पूजा स्थलों और ऋषि-मुनियों को शामिल करने की मांग की गई। इसके अलावा, दलित, हिंदू धर्म और भूमिगत धर्म से संबंधित चैप्टरों को भी हटाने के लिए कहा गया है।

विवाद और आलोचना

इस फैसले ने अकादमिक हलकों में विवाद पैदा कर दिया है। डॉ. मोनामी सिन्हा ने इसे ‘वैचारिक सेंसरशिप’ करार देते हुए कहा कि यह कदम महत्वपूर्ण अकादमिक चर्चाओं को सीमित करता है। डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की सचिव अभा देव ने कहा, “विभागों की अकादमिक स्वायत्तता को नुकसान पहुंचा है। विश्वास के आधार पर पाठ्यक्रम बदलना वैज्ञानिक जांच के खिलाफ है।” दूसरी ओर, कुछ सदस्यों ने इन बदलावों को ‘भारत-केंद्रित’ और ‘राष्ट्रहित’ में बताया।

आगे की प्रक्रिया

हटाए गए पाठ्यक्रमों को या तो पूरी तरह हटाया जाएगा या संशोधन के बाद नए पाठ्यक्रम तैयार किए जाएंगे। नए पाठ्यक्रमों को विभागीय समिति द्वारा तैयार कर विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम पैनल और अकादमिक परिषद की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। DU के कुलपति योगेश सिंह ने कहा कि यह बदलाव 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के बाद पाठ्यक्रमों में ‘पाकिस्तान के अनावश्यक महिमामंडन’ को हटाने की दिशा में उठाया गया कदम है।

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