Delhi: दिल्ली विधानसभा सत्र के दौरान पेश की गई कैग रिपोर्ट में दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली के चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि मोहल्ला क्लीनिकों में थर्मामीटर तक भी नहीं है, जो मरीजों के इलाज में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
कोविड फंड का सही इस्तेमाल नहीं
रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्ली को 787.91 करोड़ रुपये दिए थे, लेकिन इसमें से केवल 582.84 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि इस फंड की बर्बादी ने दिल्लीवासियों को संकट के समय बेहतर इलाज से वंचित रखा।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
कैग की जांच में सामने आया है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है। 27 में से 14 अस्पतालों में आईसीयू नहीं है, 12 में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है, और 16 में ब्लड बैंक तक नहीं है। इसके अलावा, मोहल्ला क्लीनिकों की हालत भी दयनीय स्थिति में है।
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बेड और स्टाफ की कमी से जूझते अस्पताल
दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 के बीच 32,000 नए बेड जोड़ने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इस अवधि में केवल 1,357 बेड ही बढ़ाए गए, जो लक्ष्य का महज 4.24% है। कई अस्पतालों में बेड ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही, जिसके चलते मरीजों को एक ही बेड पर दो-दो लोगों के साथ इलाज कराना पड़ा या फर्श पर लेटना पड़ा।
भ्रष्टाचार और फंड की बर्बादी के आरोप
रिपोर्ट में फंड के दुरुपयोग पर भी सवाल उठाए गए हैं। स्वास्थ्य कर्मियों की भर्ती और वेतन के लिए मिले 52 करोड़ रुपये में से 30.52 करोड़ रुपये का उपयोग नहीं हुआ। इसी तरह, दवाओं और पीपीई किट जैसी जरूरी चीजों के लिए दिए गए 119.85 करोड़ रुपये में से 83.14 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए गए। live24indinews