दलाई लामा का बड़ा ऐलान: पुनर्जन्म की परंपरा जारी रहेगी, गदेन फोद्रंग ट्रस्ट को उत्तराधिकारी चुनने का अधिकार

धर्मशाला : तिब्बती बौद्धों के आध्यात्मिक प्रमुख और 14वें दलाई लामा, तेनजिन ग्यात्सो, ने बुधवार को एक ऐतिहासिक बयान में पुष्टि की कि दलाई लामा की 600 वर्ष पुरानी संस्था उनके निधन के बाद भी जारी रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी, यानी 15वें दलाई लामा की खोज और मान्यता का अधिकार केवल उनके द्वारा स्थापित गदेन फोद्रंग ट्रस्ट के पास होगा। इस घोषणा ने चीन के दावों को खारिज कर दिया, जिसमें वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी को नियुक्त करने का अधिकार रखने की बात करता है।

दलाई लामा का बयान

धर्मशाला में अपने 90वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में आयोजित समारोहों के दौरान, दलाई लामा ने एक वीडियो संदेश में कहा, “मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी। भविष्य में मेरे पुनर्जन्म की खोज और मान्यता की जिम्मेदारी केवल गदेन फोद्रंग ट्रस्ट के पास होगी, और इसमें किसी भी बाहरी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं होगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार होगी। यह बयान तिब्बती समुदाय और वैश्विक बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण आश्वासन है, जो लंबे समय से उनके उत्तराधिकार को लेकर अनिश्चितता में थे।

उत्तराधिकारी की खोज की प्रक्रिया

तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार, दलाई लामा का पुनर्जन्म उनके निधन के बाद एक बच्चे के रूप में होता है, जिसकी खोज वरिष्ठ लामाओं द्वारा दर्शन, संकेतों और आध्यात्मिक परीक्षणों के माध्यम से की जाती है। संभावित उम्मीदवारों को पिछले दलाई लामा की व्यक्तिगत वस्तुओं को पहचानने जैसे परीक्षणों से गुजरना पड़ता है। दलाई लामा ने पहले संकेत दिया है कि अगला दलाई लामा किसी भी लिंग का हो सकता है और जरूरी नहीं कि वह तिब्बत में जन्मा हो। उन्होंने अपनी पुस्तक वॉयस फॉर द वॉयसलेस (मार्च 2025) में लिखा, “नया दलाई लामा स्वतंत्र दुनिया में जन्म लेगा ताकि वह करुणा, तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक नेतृत्व और तिब्बती लोगों की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सके।”

चीन का दावा और तिब्बती समुदाय की चिंता

चीन ने लंबे समय से दावा किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति का अधिकार केवल उसकी सरकार के पास है। 2007 में, चीन ने एक कानून पारित किया था, जिसमें कहा गया कि सभी पुनर्जन्मों को उसकी मंजूरी की आवश्यकता होगी। बीजिंग ने 1995 में 11वें पंचेन लामा के चयन में भी हस्तक्षेप किया था, जब दलाई लामा द्वारा चुने गए छह वर्षीय गेदुन चोइकी न्यिमा को हिरासत में लिया गया और उनकी जगह चीन ने अपने चुने हुए पंचेन लामा, ग्याल्त्सेन नोर्बु को नियुक्त किया। इस घटना ने तिब्बती समुदाय में चिंता बढ़ा दी थी कि बीजिंग अगले दलाई लामा के चयन में भी हस्तक्षेप कर सकता है।

भारत की भूमिका और वैश्विक प्रभाव

दलाई लामा का यह बयान भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत माना जा रहा है। गदेन फोद्रंग ट्रस्ट, जो धर्मशाला में भारत की सुरक्षा के तहत संचालित होता है, अगले दलाई लामा की मान्यता का केंद्र होगा। इससे भारत में तिब्बती आध्यात्मिक वैधता का आधार मजबूत होता है, जो मंगोलिया, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और वियतनाम जैसे बौद्ध बहुल देशों में भारत की सॉफ्ट पावर को बढ़ाएगा। खुफिया सूत्रों के अनुसार, यह कदम चीन की तिब्बत नीति के लिए एक रणनीतिक झटका है, क्योंकि यह बीजिंग के किसी भी नियुक्त दलाई लामा को अवैध और गैर-आध्यात्मिक करार देता है।

तिब्बती समुदाय की प्रतिक्रिया

तिब्बती निर्वासित समुदाय और धर्मशाला में मौजूद बौद्ध भिक्षुओं ने इस घोषणा का स्वागत किया है। निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग तेयखांग ने कहा, “हालांकि परम पावन दलाई लामा के निधन का विचार हमें दुखी करता है, लेकिन उनकी यह घोषणा हमें आश्वस्त करती है कि उनकी विरासत जारी रहेगी।” तिब्बती कार्यकर्ता और कवि तेनजिन त्सुंडु ने कहा, “दलाई लामा 65 वर्षों से निर्वासन में हैं, और उनकी अनुपस्थिति में तिब्बतियों के बीच दर्द और निराशा है। यह बयान तिब्बती पहचान और आकांक्षाओं को जीवित रखने का एक मजबूत कदम है।”

90वां जन्मदिन और भविष्य की योजनाएं

6 जुलाई 2025 को अपने 90वें जन्मदिन से पहले, दलाई लामा ने यह भी संकेत दिया कि वह अपने उत्तराधिकार के बारे में और विस्तृत जानकारी साझा कर सकते हैं। धर्मशाला में आयोजित तीन दिवसीय बौद्ध सम्मेलन में विश्व भर के बौद्ध विद्वान और भिक्षु इस मुद्दे पर चर्चा कर रहे हैं। दलाई लामा ने पहले कहा था कि वह 110 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं, लेकिन उनकी हाल की घुटने की सर्जरी के बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं। फिर भी, वह नियमित रूप से अपने अनुयायियों से मिल रहे हैं और आध्यात्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।

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