94 साल बाद जातिगत जनगणना: मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस, RJD समेत नेताओं की प्रतिक्रिया

नई दिल्ली: 94 साल बाद भारत में केंद्र सरकार पहली बार जातिगत जनगणना कराने जा रही है। मोदी कैबिनेट ने बुधवार को यह ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसने विपक्ष के प्रमुख मुद्दे को छीन लिया। यह मुद्दा लंबे समय से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सहयोगी दलों का हथियार रहा। 2011 की जनगणना में जातिगत आंकड़े जुटाए गए थे, लेकिन UPA सरकार ने इन्हें सार्वजनिक नहीं किया। अब मोदी सरकार के इस कदम ने सियासी हलचल मचा दी है।

कांग्रेस: देर आए, दुरुस्त आए

कांग्रेस ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “देर आए, दुरुस्त आए।” पार्टी ने X पर पोस्ट किया कि यह निर्णय 9 अप्रैल 2025 को अहमदाबाद में पारित उनके सामाजिक न्याय प्रस्ताव का हिस्सा था। राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने इसे राहुल गांधी के ‘न्याय संकल्प’ की जीत बताया। उन्होंने कहा, “जातिगत जनगणना से दो-तिहाई वंचित आबादी को न्याय मिलेगा। कांग्रेस 50% आरक्षण की सीमा हटाएगी।”

RJD: हमारी मांग की जीत

RJD नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि मोदी सरकार पहले जातिगत जनगणना का विरोध करती थी, लेकिन अब “हमारे एजेंडे” पर चल रही है। उन्होंने कहा, “PM मोदी और उनके मंत्रियों ने संसद में इसे खारिज किया था, लेकिन विपक्ष की मांग के आगे सरकार को झुकना पड़ा। यह हमारी जीत है।” तेजस्वी ने बिहार में नीतीश कुमार द्वारा कराई गई जातिगत जनगणना का हवाला देते हुए इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की सराहना की।

चिराग पासवान: समर्थन, लेकिन सावधानी जरूरी

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने जातिगत जनगणना का समर्थन किया, लेकिन चेतावनी दी कि इसके आंकड़े सार्वजनिक नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा, “यह डेटा कल्याणकारी योजनाओं के लिए उपयोगी है, लेकिन इसे सार्वजनिक करने से जातिवाद को बढ़ावा मिल सकता है।” पासवान ने जाति आधारित योजनाओं की जरूरत बताते हुए कहा कि वह जाति की राजनीति का समर्थन नहीं करते।

सियासी समीकरण और सवाल

यह फैसला विपक्ष, खासकर कांग्रेस के लिए दोधारी तलवार साबित हो सकता है, क्योंकि 2011 की SECC जनगणना के आंकड़े उनकी सरकार ने ही दबाए थे। BJP ने इसे सामाजिक न्याय की दिशा में ऐतिहासिक कदम करार दिया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कांग्रेस ने दशकों तक इस मुद्दे पर राजनीति की, लेकिन मोदी सरकार पारदर्शी तरीके से इसे लागू करेगी।” क्षेत्रीय दलों में उत्साह है, लेकिन सभी सहयोगी एकमत नहीं हैं।

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