पटना : बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जदयू-बीजेपी गठबंधन सरकार ने 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले जनता को बड़ा तोहफा देने की योजना बनाई है। सरकार हर परिवार को प्रति माह 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की तैयारी में है। इस महत्वाकांक्षी योजना को जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम बिहार के 2.14 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं, खासकर ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के लिए राहतकारी साबित होगा और चुनावी साल में नीतीश सरकार के लिए गेम-चेंजर हो सकता है।
मुफ्त बिजली योजना का विवरण
बिहार सरकार की इस योजना का उद्देश्य सामाजिक-आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना और बिजली बिल के बोझ को कम करना है। योजना के प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं:
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लाभार्थी: सभी घरेलू बिजली उपभोक्ता, जिसमें ग्रामीण और शहरी गरीब परिवार शामिल हैं।
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लागू होने की तारीख: कैबिनेट मंजूरी के बाद 1 सितंबर 2025 से शुरू होने की संभावना।
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लागत: राज्य सरकार पर प्रति वर्ष 4,500-5,000 करोड़ रुपये का अनुमानित बोझ।
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प्रभाव: बिहार के 70% से अधिक उपभोक्ताओं को बिजली बिल में 30-40% की कमी का अनुमान।
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कारyan्वयन: बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड (BSPHCL) के माध्यम से योजना लागू होगी, जिसमें डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए सब्सिडी दी जा सकती है।
ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा, “यह योजना बिहार के हर घर को रोशनी और आर्थिक स्थिरता देने का वादा है। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी परिवार बिजली बिल के बोझ तले न दबे।” सूत्रों के अनुसार, 15 जुलाई को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लग सकती है।
चुनावी रणनीति और प्रभाव
2025 का विधानसभा चुनाव बिहार की सियासत में एक कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है, जिसमें RJD-कांग्रेस गठबंधन और जदयू-बीजेपी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर है। नीतीश सरकार का यह कदम गरीब और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को लुभाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। बिहार में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की खपत औसतन 80-120 यूनिट प्रति माह है, और यह योजना इन परिवारों के लिए मासिक खर्च में 500-800 रुपये की बचत कर सकती है।
पटना विश्वविद्यालय के राजनीतिक विश्लेषक डॉ. नवीन मिश्रा ने कहा, “यह योजना नीतीश कुमार की जन-केंद्रित छवि को मजबूत करेगी। मुफ्त बिजली का वादा ग्रामीण मतदाताओं, खासकर महिलाओं और युवाओं को आकर्षित कर सकता है।” हालांकि, विपक्षी RJD ने इसे “चुनावी जुमला” करार दिया है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने X पर ट्वीट किया, “17 साल बाद नीतीश जी को मुफ्त बिजली की याद आई। पहले बिजली आपूर्ति तो सुधारें।”
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
बिहार में बिजली आपूर्ति पिछले एक दशक में सुधरी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल और कनेक्शन की लागत कई परिवारों के लिए बोझ बनी हुई है। यह योजना 1.5 करोड़ से अधिक ग्रामीण उपभोक्ताओं को सीधे लाभ पहुंचाएगी। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा, “यह योजना छोटे व्यवसायों और घरेलू उपभोक्ताओं को आर्थिक राहत देगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।”
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि इस योजना से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। बिहार का राजकोषीय घाटा 2024-25 में 6.2% था, और इस योजना के लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत होगी। सरकार केंद्र से सब्सिडी या बिजली क्षेत्र में निवेश की उम्मीद कर रही है।
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