बिहार: AIMIM की RJD को दो टूक, “तीसरा विकल्प खुला है, किसी के इशारे पर नहीं चलते”

पटना : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ गठबंधन के प्रस्ताव पर चुप्पी को लेकर नाराजगी जताई है। उन्होंने साफ कहा कि उनकी पार्टी RJD के ‘हां’ या ‘ना’ का इंतजार नहीं कर रही है और वह तीसरे विकल्प पर काम कर रही है। इसके साथ ही, इमान ने बिहार में चल रहे वोटर पुनरीक्षण कार्यक्रम को ‘चोर दरवाजे से NRC’ लागू करने की साजिश करार दिया, जिससे सियासी माहौल गरमा गया है।

गठबंधन प्रस्ताव पर RJD की चुप्पी

पिछले महीने AIMIM ने RJD के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने के लिए प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। अख्तरुल इमान ने मीडिया से बातचीत में कहा, “RJD चुप्पी साधे हुए है, न हां कह रहे हैं, न ना। हम उनके जवाब का इंतजार नहीं कर रहे। हमारा मकसद धर्मनिरपेक्ष वोटों का बंटवारा रोकना था, क्योंकि RJD महागठबंधन का बड़ा घटक है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी की तैयारियां जारी हैं और वे तीसरे विकल्प पर भी काम कर रहे हैं।

“AIMIM किसी के मातहत नहीं”

इमान ने स्पष्ट किया कि AIMIM किसी के अधीन नहीं है और न ही किसी के इशारे पर काम करती है। उन्होंने कहा, “हम किसी के रैयत नहीं हैं। किसी के कहने पर उठते-बैठते नहीं। अगर RJD गठबंधन के लिए तैयार नहीं है, तो हमारी राहें खुली हैं।” उन्होंने तीसरे मोर्चे की संभावना पर कहा, “थर्ड फ्रंट में किसे शामिल करना है, यह समय बताएगा। यह राज की बात है।” इमान ने यह भी संकेत दिया कि AIMIM बिहार में स्वतंत्र रूप से 100 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, जैसा कि पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पहले कह चुके हैं।

वोटर पुनरीक्षण पर NRC का आरोप

अख्तरुल इमान ने बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे ‘चोर दरवाजे से NRC’ लागू करने की साजिश करार दिया। इमान ने कहा, “यह प्रक्रिया न केवल NRC की बू देती है, बल्कि गरीब और हाशिए पर रहने वाले वोटरों को मताधिकार से वंचित करने की कोशिश है।” उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता के जन्म विवरण की मांग पर सवाल उठाए, “1987 से पहले वालों से जन्म प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। आज के समय में भी जन्म प्रमाण पत्र समय पर नहीं मिलता, तो पुराने लोग कहां से लाएंगे? 2003 के बाद वालों से माता-पिता का जन्म विवरण मांगा जा रहा है, जो 70% प्रवासी मजदूरों और गरीबों के पास नहीं है।”

सियासी रणनीति या मजबूरी?

AIMIM की ओर से गठबंधन प्रस्ताव को सियासी रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल की पांच सीटों (अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज) पर जीत हासिल की थी, जिससे RJD के परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक में सेंध लगी थी। हालांकि, बाद में AIMIM के चार विधायक RJD में शामिल हो गए थे, जिससे पार्टी को झटका लगा था। अब AIMIM का यह कदम RJD को यह संदेश देने की कोशिश माना जा रहा है कि वह गठबंधन के बिना भी सीमांचल में नुकसान पहुंचा सकती है।

विपक्ष का साथ और NRC पर हंगामा

वोटर पुनरीक्षण को लेकर AIMIM के अलावा RJD, कांग्रेस, और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने भी चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। RJD नेता मनोज झा ने कहा कि यह प्रक्रिया 37% गरीब, दलित, और मुस्लिम वोटरों को निशाना बना सकती है, जो अक्सर त्योहारों के समय ही अपने घर लौटते हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर इस प्रक्रिया को ‘कानूनी रूप से संदिग्ध’ और ‘संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ’ बताया है। दूसरी ओर, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सफाई दी है कि यह एक नियमित प्रक्रिया है और कोई भी पात्र वोटर प्रभावित नहीं होगा।

सियासी गलियारों में चर्चा

AIMIM के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे पर बहस छिड़ी है। कुछ यूजर्स का मानना है कि AIMIM का गठबंधन प्रस्ताव एक रणनीतिक चाल है, ताकि RJD और कांग्रेस पर दबाव बनाया जाए। एक यूजर ने लिखा, “AIMIM का थर्ड फ्रंट वाला बयान RJD को यह बताने की कोशिश है कि उनके बिना भी वे नुकसान कर सकते हैं।” वहीं, कुछ ने इसे बिहार में मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की कोशिश बताया।

आगे की राह

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। AIMIM की ओर से तीसरे मोर्चे की बात और NRC के खिलाफ तीखा रुख सियासी तापमान बढ़ा रहा है। अगर RJD और AIMIM के बीच गठबंधन नहीं होता, तो सीमांचल की 24 सीटों पर इसका असर पड़ सकता है, जहां मुस्लिम और पिछड़ा वर्ग के वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। फिलहाल, AIMIM की रणनीति और RJD का जवाब बिहार की सियासत का अगला बड़ा ट्विस्ट तय करेगा।

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