पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव से पहले पत्रकारों के लिए बड़ी घोषणा की है। उन्होंने ‘बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’ के तहत पात्र पत्रकारों की मासिक पेंशन को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही, पत्रकारों की मृत्यु के बाद उनके आश्रित पति/पत्नी को मिलने वाली पेंशन को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये प्रतिमाह करने का निर्देश दिया गया है। यह घोषणा 26 जुलाई 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई।
पत्रकारों के लिए सम्मानजनक कदम
नीतीश कुमार ने कहा, “लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका महत्वपूर्ण है। वे चौथे स्तंभ के रूप में समाज और सरकार के बीच सेतु का काम करते हैं। उनकी निष्पक्ष पत्रकारिता और सेवानिवृत्ति के बाद सम्मानजनक जीवन के लिए हमारी सरकार शुरू से प्रतिबद्ध है।” उन्होंने विभाग को निर्देश दिए कि बढ़ी हुई पेंशन राशि जल्द से जल्द लागू की जाए, ताकि पत्रकार और उनके आश्रित आर्थिक रूप से सुरक्षित रह सकें। इस कदम को बिहार में पत्रकारों के कल्याण और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि
यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आई है, जिसका कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। चुनाव आयोग संभावित रूप से अक्टूबर या नवंबर 2025 में दो या तीन चरणों में चुनाव करा सकता है। नीतीश कुमार की यह घोषणा उनकी ‘सुशासन बाबू’ छवि को और मजबूत करने का प्रयास माना जा रहा है। इससे पहले, जून 2025 में उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन को 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये किया था, जिससे 1.11 करोड़ लोग लाभान्वित हुए।
विपक्ष का जवाब और सियासी माहौल
विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह घोषणा उनकी ‘महागठबंधन’ की 1,500 रुपये पेंशन की घोषणा का जवाब है। उन्होंने इसे ‘कॉपीकैट’ कदम करार दिया। वहीं, जेडीयू नेताओं ने इसे पत्रकारों के प्रति नीतीश सरकार की प्रतिबद्धता बताया। बिहार में चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही नीतीश कुमार की यह घोषणा पत्रकार समुदाय और उनके परिवारों के लिए आर्थिक राहत के रूप में देखी जा रही है।
लागू करने की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री ने विभाग को निर्देश दिए हैं कि बढ़ी हुई पेंशन राशि को जल्द से जल्द लागू किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि पत्रकारों और उनके आश्रितों के बैंक खातों में राशि समय पर पहुंचे। इस कदम से बिहार के पत्रकारों में उत्साह का माहौल है, और इसे लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
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