दिल्ली: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना पर की गई विवादास्पद टिप्पणी ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर पक्षपात और धारा 153A (सांप्रदायिक नफरत फैलाने) के तहत अपराध का आरोप लगाया, जिसके बाद विपक्ष ने इसे न्यायपालिका पर हमला करार दिया। बीजेपी ने दुबे के बयान को उनकी “निजी राय” बताकर खुद को इससे अलग कर लिया। इस बीच, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस पर न्यायपालिका की आलोचना का इतिहास गिनाते हुए पलटवार किया, जिसके बाद दुबे ने एक रहस्यमयी दोहा पोस्ट किया।
हिमंत बिस्वा सरमा का कांग्रेस पर हमला
20 अप्रैल, 2025 को हिमंत बिस्वा सरमा ने X पर एक विस्तृत पोस्ट में बीजेपी की स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दुबे की टिप्पणियों से बीजेपी को अलग कर न्यायपालिका के प्रति सम्मान दोहराया है। सरमा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उसने बार-बार न्यायपालिका की विश्वसनीयता को चुनौती दी है। उन्होंने उदाहरण दिए:
-
जस्टिस दीपक मिश्रा: कांग्रेस ने बिना सबूत महाभियोग प्रस्ताव लाया।
-
जस्टिस रंजन गोगोई: अयोध्या फैसले पर उनकी आलोचना की।
-
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: अनुचित जांच का प्रयास।
सरमा ने तर्क दिया कि कांग्रेस फैसलों के खिलाफ होने पर न्यायपालिका की आलोचना करती है, जो लोकतांत्रिक विमर्श को कमजोर करता है।
निशिकांत दुबे का रहस्यमयी दोहा
दुबे, जो विवाद के बाद अलग-थलग पड़ गए थे, ने सरमा की पोस्ट पर हिंदी में एक दोहा शेयर किया: “जीवन पीड़ा है, राहत के कोई संकेत नहीं दिख रहे, आह, इस जेल को न सलाखों की जरूरत है, न जंजीरों की।” इस रहस्यमयी पोस्ट को कई लोग उनकी निराशा या दबाव की अभिव्यक्ति मान रहे हैं। कुछ X उपयोगकर्ताओं ने इसे दुबे की ओर से अप्रत्यक्ष माफी या आत्मचिंतन के रूप में देखा, जबकि अन्य ने इसे न्यायपालिका पर अप्रत्यक्ष कटाक्ष माना।
विपक्ष की मांग: आपराधिक अवमानना की कार्रवाई
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने दुबे की टिप्पणियों को “अवमाननापूर्ण” करार देते हुए तत्काल आपराधिक अवमानना की मांग की। उन्होंने X पर लिखा कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर पक्षपात का आरोप लगाकर और IPC धारा 153A का हवाला देकर न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाई। सिंघवी ने अटॉर्नी जनरल से बिना देरी के कार्रवाई की अपील की। विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी की “संस्थागत हमले” की रणनीति का हिस्सा बताया। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की गई है।
यह भी पढ़ें: बिहार चुनाव की तैयारी में जुटा इंडिया ब्लॉक, तेजस्वी यादव होंगे समन्वय समिति के अध्यक्ष
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
यह विवाद न्यायपालिका और विधायिका के बीच तनाव को उजागर करता है। X र कुछ उपयोगकर्ताओं ने दुबे के बयान का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट पर “हिंदू विरोधी” होने का आरोप लगाया, जबकि अन्य ने इसे संवैधानिक संस्थानों पर हमला बताया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बीच वैचारिक जंग को और तेज कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया और बीजेपी का अगला कदम इस विवाद के भविष्य को तय करेगा।