कोटद्वार: उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता—को दोषी ठहराते हुए आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। प्रत्येक पर ₹50,000 का जुर्माना भी लगाया गया। ढाई साल की सुनवाई के बाद यह फैसला पूरे देश में चर्चा का केंद्र बन गया है।
हत्या की घटना
19 वर्षीय अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट थी। 18 सितंबर 2022 को रिजॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अपने कर्मचारियों सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता के साथ मिलकर अंकिता की हत्या कर दी। अभियोजन के अनुसार, ‘विशेष सेवाएं’ देने से इनकार करने पर विवाद हुआ, जिसके बाद तीनों ने अंकिता को ऋषिकेश की चीला नहर में धक्का दे दिया। 24 सितंबर को नहर से शव बरामद हुआ।
कानूनी प्रक्रिया
विशेष जांच दल (SIT) ने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें 97 गवाह शामिल थे। 47 गवाहों की गवाही के बाद 28 मार्च 2023 से शुरू हुई सुनवाई 19 मई 2025 को पूरी हुई। कोर्ट ने पुलकित पर IPC धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्य मिटाना), 354A (छेड़छाड़), और अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम के तहत दोष सिद्ध किया। अन्य दोषियों पर भी हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप सही पाए गए।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
पुलकित के पिता, तत्कालीन BJP नेता विनोद आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। हत्याकांड के बाद उत्तराखंड में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसने महिला सुरक्षा और सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल उठाए। अंकिता के पिता वीरेंद्र सिंह ने फांसी की मांग की थी, लेकिन उम्रकैद के फैसले को राहत माना।
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