पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने RJD नेता तेजस्वी यादव को गठबंधन का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर यह प्रस्ताव ठुकराया गया, तो उनकी पार्टी थर्ड फ्रंट बनाने के लिए अन्य दलों से बातचीत शुरू कर देगी।
AIMIM का प्रस्ताव और चेतावनी
अख्तरुल ईमान ने कहा, “हम वोटों का बिखराव नहीं चाहते। इसलिए, हमने तेजस्वी यादव को उनके नेताओं के माध्यम से महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा है। अब फैसला उनके हाथ में है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर महागठबंधन उनकी बात नहीं मानता, तो AIMIM थर्ड फ्रंट बनाने की दिशा में कदम उठाएगी। ईमान ने 2020 में सीमांचल में पार्टी के शानदार प्रदर्शन का हवाला देते हुए कहा कि उनकी पार्टी मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में मजबूत है और वोटों को एकजुट करने में मदद कर सकती है।
RJD पर ‘पीठ में खंजर’ का आरोप
AIMIM नेता ने RJD पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि 2022 में RJD ने उनकी पार्टी की “पीठ में खंजर घोंपा” था। दरअसल, 2020 के चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और 5 सीटें (अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, बहादुरगंज) जीती थीं। लेकिन जून 2022 में AIMIM के 4 विधायक- मुहम्मद इजहार असफी, शाहनवाज आलम, सैयद रुकनुद्दीन अहमद, और अंजार नईमी RJD में शामिल हो गए। इसके बाद अख्तरुल ईमान (अमौर) AIMIM के एकमात्र विधायक रह गए। इस घटना ने RJD को बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बना दिया था।
गठबंधन की राह में चुनौतियां
हालांकि AIMIM ने गठबंधन की इच्छा जताई है, लेकिन RJD और कांग्रेस की ओर से अभी कोई औपचारिक जवाब नहीं आया है। महागठबंधन में पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर तनाव है। विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM की एंट्री से मुस्लिम वोट एकजुट हो सकते हैं, लेकिन यह RJD के परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। दूसरी ओर, कांग्रेस और वाम दल AIMIM के साथ गठबंधन के खिलाफ हैं, क्योंकि वे इसे “BJP की B-टीम” मानते हैं।
2020 में AIMIM का प्रदर्शन
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल में 14.28% वोट शेयर के साथ 5 सीटें जीती थीं। इस प्रदर्शन ने पार्टी को बिहार की सियासत में एक उभरती ताकत के रूप में स्थापित किया था। लेकिन विधायकों के RJD में चले जाने से पार्टी कमजोर हुई। अब AIMIM इस चुनाव में फिर से अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में है।
