UGC: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कॉलेजों के लिए नए नियमों का एक मसौदा तैयार किया है। इस ड्राफ्ट में फैकल्टी से लेकर स्टूडेंट तक कई बड़े बदलाव प्रस्तावित हैं। यूजीसी का उद्देश्य उच्च शिक्षा को अधिक प्रासंगिक और गुणवत्तापूर्ण बनाना है।
फैकल्टी पर पड़ेगा यह असर
नए नियमों के तहत, विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में सहायक प्रोफेसर बनने के लिए अब नेट और पीएचडी अनिवार्य नहीं होगा। एमई और एमटेक जैसी डिग्री वाले उम्मीदवार भी सहायक प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन कर सकेंगे। कुलपति के पद के लिए अब 10 साल का शिक्षण अनुभव अनिवार्य नहीं होगा।
स्टूडेंट्स के लिए क्या होगा खास
नए ड्राफ्ट के अनुसार, छात्र अब साल में दो बार कॉलेजों में दाखिला ले सकेंगे। स्नातक की डिग्री की अवधि तीन या चार साल की होगी, जबकि स्नातकोत्तर डिग्री की अवधि एक या दो साल की होगी। छात्र निर्धारित समय से पहले या बाद में अपनी डिग्री पूरी कर सकेंगे।
अन्य महत्वपूर्ण बदलाव
यूजीसी ने शैक्षणिक संस्थानों में जाति, लिंग और स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकने के लिए भी नए नियम प्रस्तावित किए हैं। शैक्षणिक संस्थानों को एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार करना होगा जहां छात्र भेदभाव की शिकायत दर्ज करा सकेंगे।