कोलकाता: अडाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी ने सोमवार शाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से राज्य सचिवालय नबन्ना में मुलाकात की। यह बैठक करीब एक घंटे तक चली और इसके बाद ₹25,000 करोड़ की ताजपुर बंदरगाह परियोजना को लेकर नई अटकलों ने जोर पकड़ा। इस परियोजना को पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत के लिए लॉजिस्टिक्स और व्यापार के क्षेत्र में परिवर्तनकारी माना जा रहा है। हालांकि, न तो अडाणी ग्रुप और न ही राज्य सरकार ने बैठक में हुई चर्चा का आधिकारिक ब्योरा दिया, लेकिन सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि निवेश से जुड़े कई मुद्दों पर सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई।
ताजपुर बंदरगाह परियोजना का महत्व
ताजपुर बंदरगाह, जो पूर्वी मिदनापुर जिले में प्रस्तावित है, पश्चिम बंगाल के लिए एक रणनीतिक बुनियादी ढांचा परियोजना है। यह बंदरगाह 12.1 मीटर की गहराई के साथ बनाया जाएगा और इससे करीब 25,000 प्रत्यक्ष और एक लाख अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। यह परियोजना कोलकाता से लगभग 170 किमी दूर स्थित है और इसे डिजाइन, बिल्ड, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर (DBFOT) मॉडल पर विकसित किया जाना है। यह बंदरगाह पश्चिम बंगाल को बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, नेपाल, ओडिशा और झारखंड जैसे क्षेत्रों के लिए लॉजिस्टिक्स हब के रूप में स्थापित कर सकता है।
अडाणी ग्रुप और ताजपुर परियोजना का इतिहास
अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) ने मार्च 2022 में इस परियोजना के लिए बोली में हिस्सा लिया था और सज्जन जिंदल की JSW इन्फ्रास्ट्रक्चर को पछाड़कर सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बनी थी। अक्टूबर 2022 में, ममता बनर्जी ने अडाणी पोर्ट्स के सीईओ करण अडाणी को लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) सौंपा था। उस समय इसे पश्चिम बंगाल के लिए पिछले पांच दशकों में सबसे बड़ा निवेश माना गया था। हालांकि, 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद, जिसमें अडाणी ग्रुप पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे, इस परियोजना पर अनिश्चितता के बादल छा गए।
नवंबर 2023 में, ममता बनर्जी ने बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट (BGBS) में घोषणा की थी कि ताजपुर बंदरगाह के लिए नया टेंडर जारी किया जाएगा, जिसने अडाणी ग्रुप की भागीदारी पर सवाल उठाए। ममता ने कहा था, “ताजपुर में प्रस्तावित डीप-सी पोर्ट तैयार है। आप सभी टेंडर में हिस्सा ले सकते हैं। यह $3 बिलियन या ₹25,000 करोड़ का निवेश आकर्षित करेगा।” इस घोषणा ने यह संकेत दिया कि राज्य सरकार ने अडाणी के साथ पहले की साझेदारी को रद्द कर दिया था।
ममता-अडाणी मुलाकात और नई अटकलें
सोमवार को नबन्ना में हुई गौतम अडाणी और ममता बनर्जी की मुलाकात ने ताजपुर परियोजना को लेकर नई संभावनाएं जगा दी हैं। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में ताजपुर बंदरगाह के अलावा अडाणी ग्रुप के पश्चिम बंगाल में अन्य निवेश, जैसे बिजली निर्यात के लिए बांग्लादेश को जोड़ने वाली ट्रांसमिशन लाइनों और राज्य में प्रस्तावित पांच औद्योगिक गलियारों पर भी चर्चा हुई। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि अडाणी ग्रुप को दिया गया LoI आधिकारिक रूप से रद्द किया गया है या नहीं।
पश्चिम बंगाल की उद्योग मंत्री शशि पांजा ने नवंबर 2023 में कहा था कि अडाणी ग्रुप और राज्य सरकार के बीच ताजपुर परियोजना पर बातचीत जारी है और केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय से सशर्त सुरक्षा मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने BJP के उन दावों को खारिज किया था, जिसमें कहा गया था कि अडाणी ने परियोजना से हटने का फैसला किया है।
सियासी और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
इस मुलाकात ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। X पर एक यूजर ने लिखा, “ममता बनर्जी और अडाणी की मुलाकात से ताजपुर बंदरगाह परियोजना को नया जीवन मिल सकता है। यह बंगाल के लिए गेम-चेंजर हो सकता है।” वहीं, कुछ यूजर्स ने सवाल उठाया कि क्या यह मुलाकात TMC सांसद महुआ मोइत्रा के अडाणी ग्रुप के खिलाफ आरोपों के बाद हुई तनातनी को खत्म करने की कोशिश है।
विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी ने 2023 में दावा किया था कि अडाणी ग्रुप और ममता बनर्जी दोनों जानते थे कि ताजपुर परियोजना व्यवहारिक नहीं है, और यह केवल बांग्लादेश को बिजली निर्यात के लिए बंगाल से गुजरने वाली ट्रांसमिशन लाइनों के लिए एक “ध्यान भटकाने” वाली रणनीति थी। TMC ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा था कि ताजपुर और मंदरमणि दो अलग-अलग परियोजनाएं हैं।
हाल की औद्योगिक गतिविधियां
यह मुलाकात ममता बनर्जी की हालिया कोशिशों का हिस्सा मानी जा रही है, जिसमें वह बड़े उद्योगपतियों को पश्चिम बंगाल में निवेश के लिए आकर्षित कर रही हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन से भी मुलाकात की थी। यह मुलाकात 2025 के अंत में होने वाले बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट से पहले निवेशकों के साथ संबंध मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
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