पटना : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विवाद गहरा गया है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने 38 जिलों के लिए संशोधित मतदाता सूची का पहला ड्राफ्ट जारी किया, जिसमें 78,96,98,44 मतदाताओं में से 65,64,075 नाम हटाए गए। इस बीच, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने सनसनीखेज दावा किया कि उनका नाम भी वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। जवाब में, चुनाव आयोग ने तेजस्वी के दावे को गलत बताते हुए लिस्ट जारी की, जिसमें उनका नाम 416वें स्थान पर दर्ज है।
वोटर लिस्ट से हटे 65 लाख से अधिक नाम
चुनाव आयोग के अनुसार, संशोधित ड्राफ्ट मतदाता सूची में अब 7,24,05,756 मतदाताओं के नाम शामिल हैं। सबसे अधिक नाम पटना जिले से हटाए गए हैं। आयोग ने बताया कि हटाए गए नामों में मृतक और अन्य राज्यों में स्थायी रूप से स्थानांतरित हो चुके लोग शामिल हैं। हालांकि, इस प्रक्रिया पर विपक्ष ने शुरू से ही सवाल उठाए हैं, जिसमें पारदर्शिता की कमी और चुनिंदा समुदायों को निशाना बनाने के आरोप शामिल हैं।
तेजस्वी यादव का बयान
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा, “एसआईआर प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई। बिना किसी राजनीतिक दल को विश्वास में लिए यह प्रक्रिया शुरू की गई। दस्तावेज़, पलायन, और समयसीमा को लेकर कई सवाल उठे, लेकिन चुनाव आयोग ने हमारी माँगों पर कोई ध्यान नहीं दिया। सुप्रीम कोर्ट के सुझावों की भी अनदेखी की गई।” उन्होंने दावा किया कि हर विधानसभा क्षेत्र से 20,000 से 30,000 नाम हटाए गए हैं, जो कुल मिलाकर 65 लाख से अधिक मतदाताओं (लगभग 8.5%) को प्रभावित करता है। तेजस्वी ने यह भी कहा, “मेरा खुद का नाम वोटर लिस्ट में नहीं है।”
चुनाव आयोग ने खारिज किया दावा
तेजस्वी के बयान के तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने उनके दावे को खारिज करते हुए संशोधित मतदाता सूची जारी की। आयोग ने स्पष्ट किया कि तेजस्वी यादव का नाम लिस्ट में 416वें स्थान पर मौजूद है। आयोग ने कहा, “हमने सभी राजनीतिक दलों को हटाए गए नामों की जानकारी देने का वादा किया था, और यह प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी है।” आयोग ने यह भी बताया कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक मतदाता अपने दावे और आपत्तियाँ दर्ज करा सकते हैं, ताकि पात्र मतदाताओं का नाम लिस्ट में शामिल किया जा सके।
राजद का आरोप, बीजेपी का पलटवार
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहा है और यह प्रक्रिया विपक्षी मतदाताओं को निशाना बनाने के लिए शुरू की गई है। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में मतदान का अधिकार छीना जा रहा है। अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो हम चुनाव बहिष्कार का विकल्प भी चुन सकते हैं।” इसके जवाब में, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “तेजस्वी हताशा में ऐसी बातें कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने राजद को केवल 4 सीटें दी थीं। उन्हें हार का डर सता रहा है।” बीजेपी ने भी तेजस्वी के दावे को झूठ करार देते हुए वोटर लिस्ट में उनका नाम होने का सबूत पेश किया।
विपक्ष का विरोध और सुप्रीम कोर्ट की दखल
राजद, कांग्रेस, और अन्य विपक्षी दलों ने एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। तेजस्वी ने कहा कि आयोग ने आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को मान्यता नहीं दी, जिससे लाखों गरीब मतदाताओं का नाम कटने का खतरा है। विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने 3 जुलाई को चुनाव आयोग से मुलाकात कर इस प्रक्रिया पर पुनर्विचार की माँग की थी, लेकिन आयोग ने इसे जारी रखने का फैसला किया।