राहुल गाँधी का ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में हमला: भारत-अमेरिका रिश्तों को नुकसान पहुँचाने की साजिश या राजनीतिक हताशा?

नई दिल्ली: लोकसभा में कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला, जिसने भारत की रणनीतिक संप्रभुता और विदेश नीति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। राहुल ने ऑपरेशन सिंदूर को “जनसंपर्क अभियान” करार देते हुए सरकार पर सैन्य इच्छाशक्ति की कमी का आरोप लगाया और PM मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को “झूठा” कहने की चुनौती दी। इस बयान ने न केवल सियासी तूफान खड़ा किया, बल्कि भारत की कूटनीतिक स्थिरता और वैश्विक छवि को नुकसान पहुँचाने की मंशा पर सवाल उठाए।

ऑपरेशन सिंदूर: भारत की ताकत का प्रतीक

ऑपरेशन सिंदूर, जो पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल 2025) के जवाब में 48 घंटों के भीतर शुरू किया गया था, भारत की सैन्य ताकत और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले इलाकों (POK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें सटीक ड्रोन और मिसाइल हमलों का इस्तेमाल किया गया। PM मोदी ने लोकसभा में कहा, “पाकिस्तान ने 1,000 मिसाइलों और ड्रोन से हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन हमने उसे आसमान में ही नष्ट कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर में 22 मिनट में बदला लिया गया।” उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन को रोकने का कारण पाकिस्तान का पीछे हटना और दया की गुहार था, न कि कोई विदेशी दबाव।

राहुल गाँधी का विवादित बयान

राहुल गाँधी ने ऑपरेशन सिंदूर को “PR स्टंट” बताते हुए सरकार पर सैन्य कार्रवाई में झिझक दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने PM मोदी को ट्रम्प को “झूठा” कहने की चुनौती दी, यह दावा करते हुए कि भारत ने अमेरिकी दबाव में ऑपरेशन को समय से पहले रोका। राहुल ने कहा, “मोदी जी को ट्रम्प को जवाब देने का साहस नहीं है। सेना के हाथ बंधे हैं, और यह सरकार केवल दिखावा करती है।” इस बयान को कई विश्लेषकों ने भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचाने की सोची-समझी रणनीति करार दिया।

भारत-अमेरिका संबंधों पर खतरा

राहुल के बयान का समय और संदर्भ संदिग्ध है। ट्रम्प ने हाल ही में भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल खरीद के लिए अतिरिक्त “जुर्माना” लगाने की घोषणा की थी। भारत और अमेरिका के बीच नाजुक लेकिन मजबूत रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने के लिए PM मोदी ने संयम और कूटनीति का रुख अपनाया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, ट्रम्प के अप्रत्याशित व्यवहार के कारण वैश्विक नेता चापलूसी और रणनीतिक चुप्पी का सहारा ले रहे हैं। राहुल का उकसावे वाला बयान भारत को इस नाजुक रिश्ते में गैर-जरूरी टकराव की ओर धकेल सकता था, जिससे भारत की रणनीतिक स्थिति, खासकर चीन के खिलाफ, कमजोर हो सकती थी।

कॉन्ग्रेस की पुरानी नीतियाँ और डीप स्टेट

PM मोदी ने जवाब में कॉन्ग्रेस की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों की आलोचना की। उन्होंने कहा, “कॉन्ग्रेस ने हमेशा राष्ट्रीय हितों से समझौता किया। 1971 में POK और करतारपुर साहिब वापस लिया जा सकता था, लेकिन कॉन्ग्रेस की कमजोरी ने मौका गंवाया।” उन्होंने कॉन्ग्रेस पर अमेरिकी डीप स्टेट के सामने झुकने का भी आरोप लगाया, जिसके सबूत विकीलीक्स के दस्तावेजों में मिलते हैं। विश्लेषकों का कहना है कि राहुल का बयान जॉर्ज सोरोस जैसे विवादित व्यक्तियों और पश्चिमी फंडेड NGOs के नैरेटिव से मेल खाता है, जो भारत को कमजोर और विदेशी दबाव में रखना चाहते हैं।

तकनीकी और डेटा संप्रभुता

मोदी सरकार की विदेश नीति का एक प्रमुख लक्ष्य भारत को तकनीकी और डेटा संप्रभुता में आत्मनिर्भर बनाना है। इंडिया स्टैक, डिजिटल इंडिया एक्ट, और सेमीकॉन इंडिया मिशन जैसे कदम इस दिशा में उठाए गए हैं। यूक्रेन युद्ध ने दिखाया कि मेटा, गूगल, और यूट्यूब जैसी अमेरिकी टेक कंपनियाँ पश्चिमी सरकारों की नीतियों को बढ़ावा देती हैं। भारत ने डेटा लोकलाइजेशन और ओपन-सोर्स तकनीक को बढ़ावा देकर अपनी डिजिटल स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की कोशिश शुरू की है। राहुल के बयान को इस संदर्भ में भी देखा जा रहा है, क्योंकि यह भारत की इन कोशिशों को कमजोर करने का प्रयास माना जा रहा है।

नयारा एनर्जी मामला

नयारा एनर्जी मामला भारत की संप्रभुता की लड़ाई का एक उदाहरण है। सरकार ने इस रूसी हिस्सेदारी वाली कंपनी पर नियंत्रण बढ़ाकर राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने का कदम उठाया। यह केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक कदम था, जिसका उद्देश्य विदेशी कंपनियों को भारत के नीतिगत फैसलों को प्रभावित करने से रोकना था। राहुल का बयान इस तरह के प्रयासों को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

PM मोदी का जवाब

PM मोदी ने राहुल के उकसावे का जवाब धैर्य और रणनीति से दिया। उन्होंने कहा, “भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी ताकत दिखाई। हमने कोई शहर या नागरिकों को निशाना नहीं बनाया, बल्कि आतंक के ठिकानों को खत्म किया।” उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के कॉल का जिक्र करते हुए कहा, “हमने साफ कहा कि जो हमें रोकेगा, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” मोदी ने कॉन्ग्रेस पर कारगिल विजय को न अपनाने और सेना के बलिदान को कमतर करने का भी आरोप लगाया।

राहुल गाँधी का ऑपरेशन सिंदूर पर बयान भारत की रणनीतिक संप्रभुता और विदेश नीति को कमजोर करने की कोशिश

राहुल गाँधी का ऑपरेशन सिंदूर पर बयान भारत की रणनीतिक संप्रभुता और विदेश नीति को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। यह न केवल सैन्य बलिदान का अपमान करता है, बल्कि भारत-अमेरिका संबंधों को नुकसान पहुँचाने की मंशा को भी दर्शाता है। दूसरी ओर, PM मोदी की रणनीति भारत को आत्मनिर्भर, स्वतंत्र, और वैश्विक मंच पर सम्मानित बनाने की दिशा में है। यह विवाद भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के भविष्य को लेकर सियासी तनाव को और बढ़ा सकता है।

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