यमन में केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टली: भारत सरकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं की कोशिशें रंग लाईं

सना, यमन : केरल की 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया, जो यमन की सना सेंट्रल जेल में 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मौत की सजा काट रही थीं, उनकी फांसी को आखिरी क्षणों में टाल दिया गया है। निमिषा को 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी, लेकिन भारत सरकार, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनके परिवार की अथक कोशिशों के बाद यमनी अधिकारियों ने यह सजा स्थगित कर दी। इस घटनाक्रम ने भारत और यमन में निमिषा के समर्थकों के बीच उम्मीद की किरण जगाई है।

निमिषा प्रिया का मामला

पलक्कड़, केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में बेहतर भविष्य की तलाश में यमन गई थीं। उन्होंने सना में सरकारी अस्पताल में नर्स के रूप में काम शुरू किया और 2014 में अपनी क्लिनिक खोलने का फैसला किया। यमनी कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को व्यवसाय शुरू करने के लिए स्थानीय साझेदार की जरूरत होती है, इसलिए निमिषा ने यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी की।

हालांकि, निमिषा और तलाल के बीच विवाद बढ़ गया। निमिषा ने आरोप लगाया कि तलाल ने उनके पासपोर्ट पर कब्जा कर लिया, उनकी शादी के दस्तावेजों को जालसाजी कर उनके साथ वैवाहिक संबंध होने का दावा किया, और शारीरिक व आर्थिक शोषण किया। 2017 में, निमिषा ने अपने पासपोर्ट को वापस पाने के लिए तलाल को बेहोश करने के लिए सेडेटिव्स का इस्तेमाल किया, लेकिन ओवरडोज के कारण तलाल की मौत हो गई। इसके बाद, निमिषा और एक अन्य नर्स ने तलाल के शव को टुकड़ों में काटकर पानी की टंकी में छिपाने की कोशिश की। निमिषा को अगस्त 2017 में यमन-सऊदी सीमा के पास गिरफ्तार कर लिया गया।

2018 में निमिषा को हत्या का दोषी ठहराया गया, और 2020 में सना की एक अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। यमन के सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने नवंबर 2023 में उनकी अपील खारिज कर दी, और दिसंबर 2024 में यमनी राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने सजा को मंजूरी दी।

फांसी टालने की कोशिशें

निमिषा की सजा को टालने के लिए भारत सरकार, उनके परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई स्तरों पर प्रयास किए। यमनी कानून के तहत, शरिया कानून के अनुसार, पीड़ित के परिवार से माफी और “दिया” (ब्लड मनी) के भुगतान से सजा माफ की जा सकती है। निमिषा के परिवार और ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने इसके लिए 10 लाख डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) जुटाए। हालांकि, तलाल के परिवार और उनके कबीले के नेताओं के साथ बातचीत में देरी हुई, क्योंकि वकील को प्री-नेगोशिएशन फीस के रूप में 40,000 डॉलर की मांग पूरी नहीं हो सकी थी।

निमिषा की मां प्रेमा कुमारी अप्रैल 2024 से यमन में हैं और उन्होंने अपनी बेटी को बचाने के लिए तलाल के परिवार से माफी मांगने की कोशिश की। भारत सरकार ने भी भारतीय दूतावास के माध्यम से यमनी अधिकारियों और तलाल के परिवार के साथ बातचीत की कोशिश की, लेकिन हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाले क्षेत्र में भारत के औपचारिक राजनयिक संबंधों की कमी ने चुनौतियां बढ़ाईं।

14 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कहा कि सरकार ने सभी संभव प्रयास किए, लेकिन हूती नियंत्रण और तलाल के परिवार की अनिच्छा के कारण “ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता।” फिर भी, यमन में सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम और सेव निमिषा काउंसिल ने अंतिम समय तक प्रयास जारी रखे।

15 जुलाई को, यमनी अधिकारियों ने फांसी को स्थगित करने की घोषणा की, जिसे भारत सरकार और निमिषा के समर्थकों की मेहनत का नतीजा माना जा रहा है।

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