हापुड़: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की धौलाना तहसील में बुधवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब रिश्वतखोरी के आरोप में निलंबित लेखपाल सुभाष मीणा ने तहसील परिसर में कथित तौर पर जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और लेखपाल संघ को हिलाकर रख दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मेरठ परिक्षेत्र के मंडलायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
घटना का विवरण
धौलाना के उप जिलाधिकारी (SDM) शुभम श्रीवास्तव ने बताया कि लेखपाल सुभाष मीणा को 3 जून 2025 को ग्रामीणों की शिकायत के आधार पर निलंबित किया गया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि मीणा ने भूमि अभिलेखों (खतौनी) के लिए 500 रुपये की रिश्वत मांगी थी। इसके बाद, 7 जुलाई को उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। बुधवार को मीणा ने धौलाना तहसील परिसर में जहरीला पदार्थ खा लिया, जिसके बाद उन्हें तत्काल पिलखुवा के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें गाजियाबाद के मैक्स हॉस्पिटल, वैशाली रेफर किया गया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
लेखपालों का विरोध प्रदर्शन
घटना की खबर फैलते ही हापुड़ जिले के सैकड़ों लेखपाल पिलखुवा अस्पताल पहुंचे और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद, वे हापुड़ कलेक्ट्रेट पहुंचकर धरने पर बैठ गए। लेखपाल संघ के अध्यक्ष निर्देश पाल शर्मा ने प्रशासन पर उत्पीड़न का आरोप लगाया और कहा कि धौलाना तहसील में 28 हल्कों के लिए केवल 11 लेखपाल कार्यरत हैं, जिससे काम का बोझ बढ़ा है। उन्होंने निलंबन को “अनुचित” बताते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की।
सीएम योगी का सख्त रुख
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का तत्काल संज्ञान लिया और मेरठ परिक्षेत्र के मंडलायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को मामले की गहन जांच के निर्देश दिए। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि जांच में सभी पहलुओं, जिसमें निलंबन की प्रक्रिया और लेखपाल के आत्महत्या के प्रयास के कारणों की पड़ताल की जाएगी। सीएम ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
गाजीपुर में भी लेखपालों पर कार्रवाई
यह घटना ऐसे समय में हुई है, जब हाल ही में गाजीपुर जिले में 10 लेखपालों को फर्जी आय प्रमाण पत्र जारी करने के आरोप में निलंबित किया गया था। गाजीपुर की जिलाधिकारी आर्यका अखौरी ने बताया कि इन लेखपालों ने गरीबी रेखा से ऊपर (APL) रहने वाले व्यक्तियों को गरीबी रेखा से नीचे (BPL) का आय प्रमाण पत्र जारी किया, जिसका उपयोग सरकारी नौकरियों, विशेष रूप से आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पदों के लिए किया गया। इस मामले में नौ व्यक्तियों की नियुक्ति रोक दी गई है, और जांच जारी है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार का अभियान
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपना रही है। हाल के महीनों में कई लेखपालों और अन्य सरकारी कर्मचारियों को रिश्वतखोरी और अनियमितताओं के आरोप में निलंबित किया गया है। उदाहरण के लिए:
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औरैया: एक लेखपाल को कृषि भूमि पट्टा दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने के आरोप में निलंबित किया गया।
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कन्नौज: एक लेखपाल को 2 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के ऑडियो वायरल होने के बाद निलंबित किया गया।
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गोंडा: लेखपाल अनिल कुमार को 3 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के लिए निलंबित किया गया।
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हमीरपुर: चकबंदी लेखपाल और कनिष्ठ सहायक को रिश्वत लेने के वीडियो वायरल होने पर निलंबित किया गया।
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संभल: लेखपाल अमित कुमार को 70 हजार रुपये की रिश्वत मांगने के लिए निलंबित किया गया।
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एटा: तीन लेखपालों को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया।
हापुड़ की इस घटना ने भ्रष्टाचार और सरकारी कर्मचारियों के मानसिक दबाव के मुद्दे को एक बार फिर सामने ला दिया है। सुभाष मीणा के आत्महत्या के प्रयास ने न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि पूरे राज्य में चर्चा का माहौल बना दिया है। सीएम योगी की जांच के आदेश से उम्मीद है कि इस मामले की सच्चाई सामने आएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
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