News: मां और बेटे का रिश्ता दुनिया के सबसे पवित्र रिश्तों में से एक माना जाता है। इसी रिश्ते की संवेदनशील मिसाल हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट में देखने को मिली, जहां एक मां ने अपने मृत बेटे के स्पर्म (शुक्राणु) को हासिल करने के लिए कोर्ट का सहारा लिया।
याचिका में बताया गया कि बेटे को कैंसर था और इलाज के दौरान उसने अपना स्पर्म एक फर्टिलिटी सेंटर में फ्रीज करवा दिया था, ताकि भविष्य में उसका वंश आगे बढ़ सके। बेटे की मौत के बाद जब मां ने फर्टिलिटी सेंटर से स्पर्म मांगा, तो सेंटर ने देने से इनकार कर दिया।
इस पर पीड़ित मां ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। यह मामला जस्टिस मनीष पिताले की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई में आया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यदि निर्णय से पहले युवक का स्पर्म नष्ट हो गया, तो याचिका का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।
इस आधार पर कोर्ट ने फर्टिलिटी सेंटर को मामले के अंतिम निर्णय तक मृतक युवक का स्पर्म सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। यह मामला सिर्फ कानून नहीं, बल्कि भावनाओं, पारिवारिक संवेदनाओं और मानवीय रिश्तों की भी एक गहरी मिसाल बनकर सामने आया है।
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